उज्जैन। पूरा शहर मच्छरों से परेशान हैं। शहर की जनता इसके परिणामों के प्रति जागरूक है लेकिन मलेरिया विभाग और नगर निगम लोगों को मच्छरों से राहत देने के कोई काम नहीं कर रहे हैं। प्रतिवर्ष मलेरिया की रोकथाम के लिए विभाग द्वारा लाखों रुपए की गंबूशिया मछली खरीदी जाती है तथा बरसात के दौरान पानी से भरे पोखर और गड्ढों में उन्हें छोड़ा जाता है। बारिश के सीजन में भी शहर को 3 अलग-अलग भागों में बाँटकर मलेरिया विभाग द्वारा टीमें गठित की जाती है और लार्वा नष्ट करने के लिए लगाया जाता है। उस दौरान नगर निगम भी मलेरिया विभाग के साथ-साथ विशेषकर उन वार्डों में कीटनाशक और अन्य दवाओं का छिड़काव करने पहुँच जाती है जहाँ मलेरिया या डेंगू के मरीज पाये जाते हैं। शेष स्थानों की ओर ध्यान नहीं दिया जाता। इधर गर्मी शुरु होते ही पूरे शहर में मच्छरों की भरमार हो गई है।
पिछले साल डेंगू ने बनाया था रिकार्ड
उल्लेखनीय है कि पिछले साल कोरोना की तीसरी लहर के साथ-साथ डेंगू ने भी जिले में रिकार्ड बनाया था। स्थिति यह थी कि गत वर्ष पूरे जिले में डेंगू पीडि़त मरीजों का आंकड़ा 900 के पार चला गया था। इतना ही नहीं डेंगू के मरीजों के उपचार के लिए जरूरी प्लेटलेट्स हेतु सरकारी और निजी पैथोलॉजियों में ब्लड यूनिट के लिए कतारें लग रही थी। पिछले साल डेंगू के साथ-साथ मलेरिया के मरीज भी बड़ी संख्या में मिले थे लेकिन मलेरिया विभाग उन्हीं मरीजों के आंकड़े रिकार्ड में शामिल कर रहा था जिन्होंने डेंगू और मलेरिया की जाँच निजी लेब की बजाय सरकारी लेब में कराई हो, अन्यथा यह आंकड़ा कई गुना अधिक होता।
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