नई दिल्ली । चंद्रयान-3(Chandrayaan-3) की अपार सफलता के बाद भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (Indian Space Agency ISRO) नए साल से पहले अंतरिक्ष में ऐसा चमत्कार (Such a miracle in space)करने जा रही है, जिसे अब तक सिर्फ तीन देश (America, Russia and China) ही कर पाए हैं। इसरो की योजना अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को आपस में जोड़ने की है। इसे अंतरिक्ष विज्ञान की भाषा में डॉकिंग और अनडॉकिंग कह सकते हैं। इसरो के इस महत्वपूर्ण मिशन का स्पैडेक्स है। अगर यह प्रयोग सफल हो जाता है तो भारत को अगले मिशनों चंद्रयान-4, खुद का अंतरिक्ष स्टेशन और चांद पर भारतीय उतरने के सपने को साकार में मदद मिलेगी। स्पैडेक्स मिशन की लॉन्चिंग 30 दिसंबर को होनी है।
इसरो अपने बहुप्रतीक्षित स्पैडेक्स मिशन को लॉन्च करने के लिए तैयार है। दोनों उपग्रह 30 दिसंबर 2024 को भारतीय समयानुसार रात 9:58 बजे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) के माध्यम से प्रक्षेपित किए जाएंगे। इस मिशन का उद्देश्य दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करना है। इस ऐतिहासिक घटना को लाइव देखा जा सकता है। इस मिशन में पीएलएवी और सी 50 उपग्रहों को लॉन्च किया जाएगा।
कहां देख सकेंगे लाइव प्रसारण
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इस प्रक्षेपण का लाइव प्रसारण करेगी। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने बताया कि इसरो का 30 दिसंबर को निर्धारित वर्ष के अंत का मिशन ऐतिहासिक होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस मिशन में अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को डॉक करने या विलय करने या एक साथ जोड़ने की दुर्लभ उपलब्धि हासिल करने की कोशिश की जायेगी। इस परियोजना को ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट’ (स्पैडेक्स) नाम दिया गया है।
अंतरिक्ष विभाग की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में डॉ. सिंह के एक साक्षात्कार के हवाले से कहा गया है कि आगामी स्पैडेक्स मिशन का लक्ष्य अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को डॉक करना है। इस मिशन की सफलता ‘चंद्रयान-4’ और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन जैसे भविष्य के मिशनों के लिये महत्वपूर्ण है। यह प्रौद्योगिकी मानवयुक्त ‘गगनयान’ मिशन में भी काम आयेगी।
इसरो की प्लानिंग क्या है?
विज्ञप्ति में कहा गया है इस प्रयोग में इसरो 28,800 किमी/ घंटा की गति से परिक्रमा कर रहे दो उपग्रहों को परस्पर जोड़ने का प्रयास करेगा। इसके लिये दोनों उपग्रहों को उनके सापेक्ष रफ्तार को घटा कर मात्र 0.036 किमी प्रति घंटा तक लाने की चुनौती है। इसके तहत ‘चेज़र’ और ‘टारगेट’ नामक दो उपग्रह अंतरिक्ष में जुड़कर एक बन जायेंगे।
स्पैडेक्स प्रयोगों के लिये इसरो पीएसएलवी के चौथे चरण, पोयम-4 का भी उपयोग करेगा। यह चरण शैक्षणिक संस्थानों और स्टार्टअप से 24 पेलोड ले जायेगा। ये प्रयोग कक्षा में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण वातावरण का उपयोग करेंगे। इस प्रयोग में अंतरिक्ष में भ्रमण करते हुए दो उपग्रहों जुड़ने और अलग होने की क्षमताओं का प्रदर्शन किया जाना है। इसमें बिजली का हस्तांतरण और वैज्ञानिक उपकरणों की संचालन प्रणालियों के प्रयोग शामिल है। इसमें दोनों उपग्रहों के परस्पर जुड़ने का सिम्युलेशन 20 किलोमीटर के मिलन चरण से शुरू होगा और तीन मीटर पर डॉकिंग के साथ समाप्त होगा।
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