भोपाल। पीएससी भर्ती परीक्षा (PSC Recruitment Exam) 2019-20 की वैधानिकता सहित परीक्षा नियम 2015 में किए गए संशोधन की संवैधानिकता को दी गई चुनौती वाली 8 याचिकाओं की 14 सितंबर को हाईकोर्ट (High Court) में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक (Chief Justice Mohammad Rafiq) और जस्टिस विजय कुमार शुक्ल (Justice Vijay Kumar Shukla) की डबल बेंच में हुई इस सुनवाई के दौरान PSC ने पूर्व के आदेश के क्रम में डाटा पेश करने की ओर मोहलत मांगी। अब इन सभी मामले की अंतिम सुनवाई 23 सितंबर को होगी।
चीफ जस्टिस (Chief Justice) की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने दो सितंबर को सुनवाई के दौरान पीएससी से पिछली परीक्षाओं में कितने आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी अनारक्षित वर्ग में चयनित हुए हैं, के संबंध में डाटा (Data) मांगा था। पीएससी को 13 सितंबर तक ये डाटा कोर्ट में प्रस्तुत करने थे, लेकिन वह पेश नहीं कर पाया। पीएससी की ओर से अधिवक्ता प्रशांत सिंह और राज्य सरकार की ओर से आशीष बर्नाद ने पक्ष रखा।
राज्य सरकार विवादित आदेश को निरस्त करने वाली है
पीएससी की ओर से अधिवक्ता प्रशांत सिंह ने डाटा पेश करने की और मोहलत मांगी। कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार विवादित नियमों के संदर्भ में सकारात्मक निर्णय लेने वाली है। बता दें कि 21 जनवरी 2021 को कोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित कर पीएससी की पूरी भर्ती प्रक्रिया को याचिका के निर्णयाधीन घोषित किया है।
इस बैठक का दिया गया हवाला
24 अगस्त 2021 को भोपाल में पिछड़ा वर्गों के सभी संगठनों की संयुक्त बैठक हुई थी। इसमें ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन सहित 18 संगठनों ने सीएम से 54 सूत्रीय मांग पत्र सौंपते हुए आरक्षित वर्गों के हितों के विपरीत बनाए गए संशोधित नियम 17 फरवरी 2020 को निरस्त करने की मांग की थी। सीएम ने इसे निरस्त करने का आदेश दिया है। इस कारण पीएससी का कोर्ट में दिया गया बसान इसी से संदर्भित माना जा रहा है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा, रामेशवर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह व रामभजन लोधी ने पक्ष रखा।
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