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    उत्तराखंड भूमि अतिक्रमण (निषेध) अध्यादेश में कड़े कानूनों का प्रावधान

  • July 08, 2023


    देहरादून । उत्तराखंड भूमि अतिक्रमण (निषेध) अध्यादेश में (In Uttarakhand Land Encroachment (Prohibition) Ordinance) कड़े कानूनों का प्रावधान (Provision of Strict Laws) किया गया है (Has been Done) । प्रदेश में नया कानून लागू होने से भूमाफिया पर शिकंजा कसेगा और आम आदमी को राहत मिलेगी। कैबिनेट में पास होने के बाद अब सरकार इसको लेकर अध्यादेश ला सकती है। उत्तराखंड में जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कराने की धामी सरकार की मुहिम अब जोर पकड़ सकती है। अभी तक सरकार के स्तर पर जितने भी प्रयास किए गए, वह नाकाफी साबित हो रहे हैं।


    इस अध्यादेश को विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा। विधानसभा से पास होने के बाद प्रदेश का नया कानून बन जाएगा। उत्तराखंड भूमि अतिक्रमण (निषेध) अध्यादेश में कड़े कानूनों का प्रावधान कर पहली बार निजी भूमि को भी शामिल किया गया है। नए कानून के तहत शिकायतकर्ता सीधे डीएम से इस तरह के मामलों की शिकायत कर सकेगा। डीएम की अध्यक्षता में राज्य सरकार की ओर से अधिसूचित समिति प्रकरण की विवेचना पुलिस के निरीक्षक रैंक या उससे ऊपर के अधिकारी से कराएगी। कानून में पीड़ित व्यक्ति को राहत देते हुए भूमि अतिक्रमणकर्ता या आरोपी पर ही मालिकाना हक साबित करने का भार डाला गया है।

    आरोप सही साबित होने पर न्यूनतम सात वर्ष या अधिकतम 10 वर्ष तक कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है, साथ ही अतिक्रमणकर्ता को ऐसी संपत्तियों के बाजार मूल्य के बराबर जुर्माने से भी दंडित किया जाएगा। नए कानून में पुराने कब्जों को भी शामिल करते हुए कार्रवाई की जा सकेगी। ऐसे मामलों के लिए विशेष न्यायालयों का गठन होगा।

    उत्तराखंड, भूमि अतिक्रमण (निषेध) अध्यादेश के तहत प्रदेश में भूमि अतिक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण के लिए राज्य सरकार विशेष न्यायालयों का गठन करेगी। इनमें डीएम या डीएम की ओर से अधिकृत किसी अधिकारी की संस्तुति पर भूमि अतिक्रमण या हथियाने के प्रत्येक मामले का संज्ञान लेकर सुनवाई की जाएगी। इसके बाद न्यायाधीश की ओर से आदेश पारित किया जाएगा। हालांकि, विशेष न्यायालय के आदेश के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जा सकेगी।

    व्यक्ति, व्यक्तियों का समूह और निजी संस्था पर भी कार्रवाई होगी। यदि कोई व्यक्ति, व्यक्तियों का समूह अथवा कोई संस्था किसी भी जमीन या संपत्ति पर धमकी, छल, बिना किसी कानूनी अधिकारी के बल पर कब्जा करते हैं या कब्जा करने का प्रयास करते हैं तो इसे भी अतिक्रमण की श्रेणी में माना जाएगा। इसके अलावा ऐसी भूमि को अवैध रूप से किराये अथवा पट्टे पर देने या कब्जे के लिए अनाधिकृत संरचनाओं का निर्माण करने पर नए कानून के तहत कार्रवाई की जाएगी।

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