कलेक्टर गए तो बीएमओ भी चले गए बैठक से, जनप्रतिनिधियों ने जताई नाराजगी
इंदौर। कलेक्टर मनीषसिंह (Collector Manish Singh) ने कल सख्त लहजे में अधिकारियों को चेतावनी दी कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं में किसी प्रकार की कमी नहीं आए, नहीं तो इसे अधिकारियों की कमजोरी समझा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जो भी ग्रामीण सेंटर पर आता है और अपनी जांच करवाता है, उसे आवश्यक रूप से कोरोना दवाई का किट दिया जाना चाहिए।
ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रहे मरीजों को लेकर प्रशासन सक्रिय हो गया है और सभी एसडीएम को अपने-अपने क्षेत्र में निगाह रखने और कोरोना मरीजों का इलाज करवाने के निर्देश दिए हैं। कल सांवेर और खुड़ैल में हुई बैठक में उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी विशेष तौर पर गांव में सैम्पलिंग और मरीजों की देखभाल से संबंधित सुविधाओं में किसी प्रकार की लापरवाही न करें। पंचायत स्तर पर बनाए गए कोविड केयर सेंटर में उन्हें भर्ती कराएं और गंभीर लक्षण वाले मरीजों को चिकित्सा के लिए शहर भेजें। इन सेंटरों में 20 से लेकर 100 बिस्तर रखे गए हैं, ताकि मामूली लक्षण होने पर मरीजों का इलाज यहीं किया जा सके। घर में आइसोलेट होने वाले मरीजों की जानकारी भी रखी जाए। इसके बाद कलेक्टर और मंत्री सिलावट मुख्यमंत्री की बैठक के लिए निकल गए, लेकिन सांसद शंकर लालवानी और जिलाध्यक्ष राजेश सोनकर तथा प्रदेश की आपदा प्रबंधन समिति के सदस्य डॉ. निशांत खरे यहीं मौजूद थे। जब अधिकारियों से बात करने की बारी आई तो बीएमओ बी.एम.कौशल वहां नहीं दिखे और उनके साथ उनका अमला भी वहां से नदारद हो गया। इसको लेकर डॉ. खरे नाराज हुए। तहसीलदार पल्लवी पुराणिक ने उन्हें फोन भी लगाया, लेकिन उन्होंने कहा कि वे किसी मीटिंग के लिए निकल गए हैं। कुछ ग्रामीणों ने शिकायत की कि कई क्षेत्रों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता नहीं आती हैं तो अधिकारियों से कहा गया कि कार्यकर्ताओं को भी गांव-गांव भेजें, ताकि मरीजों की पहचान हो सके और उन्हें दवाइयों की किट दी जा सके। इसके साथ ही अगर कोई खेत में आइसोलेट होना चाहता हैं तो वहां भी हो सकता है। एक ग्रामीण ने कहा कि ये टाइफाइड है तो अधिकािरयों ने उन्हें बताया कि टाइफाइड के लक्षण भी कोरोना जैसे होते हैं, इसलिए हमें अपना इलाज पहले करवाना चाहिए।
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