नई दिल्ली। भीषण आर्थिक और राजनीतिक संकट (economic and political crisis) से गुजर रहे श्रीलंका में स्थिति तब और भयावह हो गई जब शनिवार को प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे(President Gotabaya Rajapakse) के इस्तीफे की मांग करते हुए उनके आधिकारिक आवास में भी घुस गए। इसके अलावा प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (Prime Minister Ranil Wickremesinghe) के आवास पर भी उन्होंने धावा बोल दिया। तभी से प्रदर्शनकारी इन दोनों जगहों पर डटे हुए हैं। इसी बीच प्रदर्शनकारियों (protesters) ने शर्त रखते हुए बताया कि वे यहां से कब निकलेंगे।
दरअसल, श्रीलंका (Sri Lanka) की राजधानी कोलंबो में प्रदर्शनकारी लगातार दूसरे दिन राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री के कार्यालयों पर कब्जा जमाए हुए हैं। अलजजीरा ने प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रहे समूहों के हवाले से अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि उन्होंने कसम खाई है कि वे तब तक यहां रहेंगे जब तक कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति आधिकारिक तौर पर इस्तीफा नहीं दे देते।
रिपोर्ट के मुताबिक एक छात्र नेता लाहिरू वीरशेखर ने कहा है कि हमारा संघर्ष खत्म नहीं हुआ है, हम इस संघर्ष को तब तक नहीं छोड़ेंगे जब तक कि वे वास्तव में नहीं चले जाते हैं। प्रदर्शन में शामिल एक नाटककार रुवांथी चिकेरा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राष्ट्रपति को इस्तीफा देना होगा, प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना होगा और सरकार को जाना होगा।
राष्ट्रपति के आवास (President’s residence) के अंदर एक प्रदर्शनकारी ने अलजजीरा को बताया कि मैं यहां इसलिए हूं क्योंकि हमें यह पता लगाना है कि उन्होंने हमारे टैक्स के पैसे से किस तरह की चीजें की हैं। लेकिन अब समय आ गया है कि राजनेताओं को लोगों की शक्ति को समझना चाहिए। जाफना विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी अहिलन कादिरगामार ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को पूरे देश में लोगों का समर्थन प्राप्त था, जो सरकार की कठोर आर्थिक परिस्थितियों से हिल चुके थे।
इन सबके बीच उधर नई सरकार पर सहमति के लिए विपक्षी दल रविवार को राजधानी में बैठक कर रहे थे। फिलहाल अब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों पर पद छोड़ने का दबाव बढ़ गया है। शनिवार को प्रदर्शनकारियों के हिंसक होने के बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे अपने आधिकारिक आवास से भाग निकले थे। वे कहां गए हैं, इसकी कोई जानकारी सामने नहीं आ पाई है।
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