इंदौर। जैनों के सबसे बड़े तीर्थ सम्मेद शिखर (sammed shikhar) को वन अभयारण्य (forest sanctuary) का हिस्सा घोषित करने पर समाज के प्रतिनिधियों ने आपत्ति व्यक्त करते हुए मांस-मदिरा की बिक्री पर रोक लगाए जाने की मांग करते हुए इंदौर में कलेक्टर को राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
जैनों के तीर्थ पर कब्जे और झारखंड सरकार द्वारा इसका एक हिस्सा वन अभयारण्य घोषित किए जाने के विरोध में कल जैन समाज के पदाधिकारियों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की है कि जैन समाज की भावनाओं का ख्याल करते हुए मांस-मदिरा बिक्री पर रोक लगाई जाए। तीर्थ क्षेत्र पर हो रहे अतिक्रमण के खिलाफ आवेदन देते हुए समाज के पदाधिकारियों ने बताया कि 2 अगस्त 2019 को तत्कालीन झारखंड सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय वन मंत्रालय द्वारा वन्य दीप अभयारण्य का एक भाग घोषित कर दिया है, जिसके चलते पर्वत राज पर लोगों की भीड़ बढ़ गई है, जो कि मर्यादा का ख्याल न रखते हुए गंदगी फैला रहे हैं। अध्यक्ष निर्मलकुमार पाटोदी ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन दिया।
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