नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत प्रस्तावित ई-कॉमर्स नियमों (Proposed e-commerce rules under Consumer Protection Act) में ‘संबद्ध इकाई’ शब्द को जारी रखने का आग्रह वाणिज्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल से किया है। कैट ने रविवार को पीयूष गोयल को एक पत्र भेजकर यह मांग की है।
कैट ने कहा कि ‘संबद्ध इकाई’ शब्द को प्रस्तावित ई-कॉमर्स नियमों से हटाने पर दोनों विदेशी और घरेलू ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने पोर्टल पर अपने से संबद्ध विक्रेताओं के साथ मिलकर एकाधिकार करना बहुत आसान हो जाएगा। क्योंकि, जिन विक्रेताओं में ई-कॉमर्स कंपनियों का आर्थिक हित और इक्विटी है, उन्हें विक्रेता बनाकर यह ई-कॉमर्स कंपनियां उपभोक्ताओं की पसंद को सीमित करती है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि 2016 से अमेजन क्लाउडटेल एवं अपैरियो तथा फ्लिपकार्ट डब्ल्यू एस रिटेल जैसी सम्बद्ध कंपनियों के द्वारा अधिकतम बिक्री की जा रही है। ‘संबद्ध इकाई’ शब्द को हटाने से रिलायंस, टाटा जैसी बड़ी घरेलू ई-कॉमर्स कंपनियां भी अपने सम्बद्ध विक्रेताओं के माध्यम से सामन बेचेंगी। इससे देश का ई- कॉमर्स बाजार केवल चंद हाथों में सिमट कर रह जाएगा, जो कि उपभोक्ताओं के लिए ज्यादा नुकसानदायक होगा और ई-कॉमर्स व्यापार में लोकतांत्रिक भावना खत्म हो जाएगी।
खंडेलवाल ने कहा कि ऐसी स्थिति में उपभोक्ताओं को सामान खरीदने में अपनी पसंद को प्रतिबंधित करने और रोकने से बचाने के लिए प्रस्तावित नियम में अपने उत्पादों को अपने पोर्टल पर बेचने के लिए ‘संबद्ध इकाई’ पर प्रतिबंध को शामिल करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों के एकाधिकार, प्रतिबंधात्मक और अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने के लिए नियमों में पर्याप्त प्रावधान उपभोक्ता के हितों को सुरक्षित करने के लिए आवश्यक है। खंडेलवाल ने कहा कि उपभोक्ताओं को किसी भी धोखाधड़ी के खिलाफ सुरक्षा के लिए गुणवत्ता, मात्रा, शक्ति, शुद्धता, मूल, मानक और माल की कीमत के पूर्व-खरीद चरण में के बारे में जानने का अधिकार है। इस इस अधिकार पर अतिक्रमण किया जाना उपभोक्ताओं के हितों के विरुद्ध होगा।
कैट महामंत्री ने कहा कि 2016 के बाद से यह देखा गया है कि स्पष्ट नियमों और ई-कॉमर्स नीति के अभाव में मौजूदा ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपने प्रभुत्व का दुरुपयोग करने के लिए एक तंत्र तैयार किया है, जो उनके ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर अपनी संबद्ध संस्थाओं के जरिए उपभोक्ताओं की पसंद को प्रतिबंधित करते हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी और घरेलू दोनों ई-कॉमर्स कंपनियों को इस महत्वपूर्ण शब्द की अनुपस्थिति का लाभ उठाने से पोर्टल को अपनी मर्जी के अनुसार चलाने की स्वतंत्रता मिलेगी। इन संबद्ध इकाइयों के जरिए पोर्टल के पास एक तरह से कार्टेलाइजेशन में प्रवेश करने का विकल्प होगा, जो उपभोक्ताओं की पसंद को सीमित करेगा। इससे कीमतों में हेरफेर करने की संभावना भी बनी रहेगी, जो उपभोक्ताओं के हितों के लिए हानिकारक साबित होगा। इसलिए ‘संबद्ध इकाई’ के प्रावधान को ई-कॉमर्स नियमों में जारी रखना बहुत जरूरी है। (एजेंसी, हि.स.)
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