नई दिल्ली। कर्नाटक में इन दिनों स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पर बैन लगाने की मांग जोर पकड़ रही है। इस बीच फ्रांस से खबर आई है कि फ्रेंच नेशनल एसेंबली में प्रतिस्पर्धी खेलों में हिजाब जैसे प्रतीकों पर बैन का प्रस्ताव खारिज हो गया है। इस मामले पर राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पार्टी ने प्रस्ताव को समर्थन नहीं दिया।
फ्रांस में अप्रैल 2022 में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। वहीं इस प्रतिबंध को लेकर मुस्लिम फुटबॉल खिलाड़ी विरोध जता रही हैं। हिजाब प्रतिबंध को लेकर प्रस्ताव था कि मैच खेलने के दौरान खिलाड़ी ऐसी कोई चीज नहीं पहन सकते, जिससे उनकी धार्मिक पहचान जाहिर होती हो। इनमें मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला हिजाब और यहूदी लोगों द्वारा लगाई जाने वाली खास टोपी किप्पा भी शामिल हैं।
जनवरी 2022 में पार्टी एक कानून का प्रस्ताव लाई थी
फ्रांस में धर्मनिरपेक्षता से जुड़े कानून पर बात आए दिन होती रहती है। फ्रेंच सीनेट में दक्षिणपंथी रिपब्लिकन पार्टी का वर्चस्व है। वहीं यह पार्टी जनवरी 2022 में एक कानून का प्रस्ताव लाई जिसमें कहा गया था कि सभी प्रतिस्पर्धी खेलों में ऐसे प्रतीकों पर बैन रहेगा जिससे किसी खिलाड़ी की धार्मिक पहचान उजागर हो। लेकिन यह प्रस्ताव निचले सदन से ही पास नहीं हो पाया। 9 फरवरी को संसद में यह प्रस्ताव खारिज कर दिया गया। इस मामले पर मंत्री एलिजाबेथ मोरैनो ने भी अपनी बात रखते हुए कहा था कि महिलाएं हिजाब लगाकर फुटबॉल खेल सकती हैं।
फ्रेंच फुटबॉल फेडरेशन का यह प्रतिबंध भेदभाव करता है
फ्रांस में ले हिजाबुस जो हिजाब को लेकर महिलाओं का समर्थन कर रहा है, इस संस्था ने फ्रेंच फुटबॉल फेडरेशन के प्रतिबंध को कानूनी चुनौती दी है और दलील में कहा कि इस तरह का प्रतिबंध भेदभाव करता है। साथ ही इस संगठन ने अपनी मांगो लेकर बीते दिन विरोध प्रदर्शन की इच्छा जताई थी लेकिन प्रशासन ने सुरक्षा संबंधी कारणों से इसकी इजाजत नहीं दी।
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