तिरुवनंतपुरम । केरल विधानसभा ने शुक्रवार को भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है। हालांकि कांग्रेस नीत यूडीएफ ने सदन में पेश रिपोर्ट के हिस्से को हटाने पर कड़ा विरोध जताया है। रिपोर्ट में केआईआईएफबी के बारे में कड़ी टिप्पणियां हैं। यूडीएफ और बीजेपी के एकमात्र विधायक ने प्रस्ताव का यह कहते हुए विरोध किया कि यह संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है।
प्रस्ताव को पेश करते हुए मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने कहा कि कैग ने संबंधित विभागों को सुने बगैर अंतिम रिपोर्ट में कुछ बदलाव किए और इससे कार्यपालिका और विधायिका के बीच संतुलन प्रभावित हो सकता है। प्रस्ताव को आम सहमति से पारित किया गया और विधानसभा अध्यक्ष पी. श्रीरामकृष्णन ने कहा कि संबंधित पन्नों को हटाने के बाद कैग की रिपोर्ट को विचार के लिए लोक लेखा समिति (पीएसी) के पास भेजा जाएगा। इन पन्नों में केरल आधारभूत निवेश वित्त बोर्ड (केआईआईएफबी) के खिलाफ टिप्पणी की गई हैं।
कांग्रेस ने किया प्रस्ताव का पुरजोर विरोध
कांग्रेस विधायक वी. डी. सतीशन ने इस पहल का विरोध करते हुए कहा कि सदन रिपोर्ट को नहीं बदल सकता है जिस पर राज्यपाल के हस्ताक्षर हैं। सतीशन पीएसी के अध्यक्ष भी हैं। सतीशन ने कहा, ‘राज्य विधायिका राज्यपाल की हस्ताक्षरित रिपोर्ट के कुछ हिस्सों को कैसे हटा सकता है? अगर यह परंपरा बन गई तो अन्य राज्य भी इसी राह पर चल पड़ेंगे। इससे संवैधानिक संकट पैदा होगा।’
कैग रिपोर्ट के किस हिस्से पर है सरकार को आपत्ति?
प्रस्ताव में कैग के राज्य वित्तीय ऑडिट रिपोर्ट के केआईआईएफबी से संबद्ध पन्ना संख्या 41 से 43 तक की टिप्पणियों को खारिज करने की बात कही गई है। विजयन ने कहा, ‘सरकार से विचार-विमर्श किए बगैर रिपोर्ट तैयार की गई है। कैग के निष्कर्ष में बताया गया है कि केआईआईएफबी ने बजट के इतर ऋण लिए हैं जो पूरी तरह निराधार है।’ प्रस्ताव में कहा गया है कि कैग की रिपोर्ट पेशेवर रुख और राजनीतिक निष्पक्षता का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है।
कांग्रेस विधायक बोले- मोदी सरकार तो नहीं लाई कैग रिपोर्ट के खिलाफ प्रस्ताव
सतीशन ने कहा कि प्रस्ताव अभूतपूर्व है। सतीशन ने कहा, ‘कैग ने इससे पहले संसद में मोदी सरकार की आलोचना वाली रिपोर्ट पेश की थी। लेकिन इसके खिलाफ प्रस्ताव नहीं लाया गया। यह एक संवैधानिक संस्था को नष्ट करने और उसके अधिकार पर अतिक्रमण करने का प्रयास है।’ विधानसभा में बीजेपी के एकमात्र विधायक ओ. राजगोपाल ने भी प्रस्ताव का विरोध किया और कहा कि यह संवैधानिक मूल्यों के विपरीत है और संवैधानिक निकाय को दुश्मन मानने की तरह है।
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