– डॉ. वेदप्रताप वैदिक
पैगबंर-विवाद को लेकर भारत में अभी प्रदर्शन, जुलूस और पत्थरबाजी का दौर चल रहा है और दोषियों को दंडित करने के नाम पर उनकी अवैध संपत्तियों को भी ढहाया जा रहा है लेकिन क्या हमारे लोग कुछ मुस्लिम देशों के आचरण से कुछ सीखने की कोशिश करेंगे? हमारे पड़ोसी बांग्लादेश ने अन्य कुछ मुस्लिम देशों की तरह भारत की आलोचना में एक शब्द भी नहीं कहा। उसके सूचना मंत्री डाॅ. हसन महमूद ने ढाका में भारतीय पत्रकारों से कहा कि पैगंबर-विवाद भारत का आंतरिक मामला है। उसमें बांग्लादेश को टांग अड़ाने की जरूरत क्या है?
जहां तक पैगंबर की प्रतिष्ठा का सवाल है, उस पर उंगली उठानेवाली हर कथन की हम निंदा करते हैं लेकिन हम खुश हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने दो प्रवक्ताओं के विरुद्ध सख्त कार्रवाई कर दी है। उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए भारत सरकार बधाई की पात्र है। महमूद ने कहा कि बांग्लादेश के लोगों को इस मुद्दे पर भड़काना हमारा काम नहीं है (जैसा कि कुछ अन्य मुस्लिम देश कर रहे हैं!)। उन्होंने यह ऐलान भी किया कि बांग्लादेश में इस मुद्दे को लेकर जो भी शांति और व्यवस्था भंग करेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के कई विरोधी नेता बांग्ला जनता को भड़काने से बाज नहीं आ रहे हैं। इस मुद्दे के बहाने वे हसीना सरकार पर अपनी भड़ास निकालना चाहते हैं लेकिन सरकार उनके साथ बड़ी सख्ती से पेश आ रही है। यही काम अब कुवैत की सरकार ने भी शुरू कर दिया है। पैगंबर मसले पर कुवैत में रहनेवाले भारतीय, पाकिस्तानी और बांग्लादेशी मुसलमान ज्यादा चूं चपड़ कर रहे हैं। ऐसे में कुवैत की सरकार ने घोषणा कर दी है कि जो भी प्रवासी नागरिक इस तरह की गतिविधियों में लिप्त पाया गया, उसे हमेशा के लिए देश-निकाला दे दिया जाएगा। मुझे विश्वास है कि लगभग सभी इस्लामी राष्ट्र इस दृढ़ता का परिचय देंगे। हां, पाकिस्तान इसका अपवाद हो सकता है, क्योंकि वहां के सत्तारुढ़ और विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर एक-दूसरे को नीचा दिखाने में जुट सकते हैं। उन्होंने संसद में भारत-विरोधी प्रस्ताव भी पारित करवा लिया है। लेकिन बांग्लादेश ने तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हर दबाव के आगे सीना तान रखा है।
इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) ने लाख कोशिश की कि यह मामला संयुक्तराष्ट्र महासभा में घसीटा जाए लेकिन आजकल उसके अध्यक्ष मालदीव के अब्दुल्ला शाहिद हैं। शाहिद ने इस्लामी संगठन की इस मांग को गौर करने काबिल भी नहीं समझा। संयुक्तराष्ट्र के महासचिव ने अपने आधिकारिक बयान में इस मामले में वही दृष्टिकोण अपनाया है, जो बांग्लादेश ने प्रतिपादित किया है। बांग्लादेश ने इस मुद्दे पर अत्यंत संतुलित रुख अपनाकर सारे इस्लामी देशों के लिए एक मिसाल पेश की है। ईरानी विदेश मंत्री की तरह अब बांग्लादेश के विदेश मंत्री अब्दुल मोमिन भी भारत आ रहे हैं।
(लेखक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं।)
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