खाने से बढ़ेगी रोग प्रतिरोधक क्षमता
भागलपुर। भागलपुर में पहली बार काले अमरूद (Black guava) का उत्पादन प्रारंभ हुआ है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BHU) में दो साल पहले अमरूद का पौधा लगाया गया था, जिसमें अब फल आना शुरु हो गया है। इस बीच, लाल गुद्दा और हरे छिलके वाले अमरूद को भी काला छिलका करने का प्रयास किया जा रहा है। देश में हालांकि इस प्रकार के अमरूद का व्यावसायिक उपयोग नहीं हो रहा है।
भागलपुर बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BHU) के अनुसंधान (शोध) के सह निदेशक डॉ. फिजा अहमद (Dr. Fija Ahamad) ने बताया कि दो-तीन साल पहले इस अमरूद को लगाया गया था, जिसमें अब फलन प्रारंभ हुआ है। एक अमरूद का वजन करीब एक सौ ग्राम है। उन्होंने कहा कि इस अमरूद के व्यवसायिक उपयोग होने के बाद इसका लाभ किसानों को भी मिल सकेगा, यही कारण है कि बीएयू अब इस शोध में जुट गया है कि कैसे इस पौधे को आम किसान उपयोग में लाए।उन्होंने कहा, हम लोग इस पर शोध कर इसकी गुणवत्ता में और भी सुधार लाएंगे। अलग रंग के फल और सब्जियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता सामान्य फलों से बहुत अधिक होती है, यही कारण है कि इस अमरूद के खाने से आम लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।”
डॉ़ अहमद कहते हैं कि अब इस अमरूद के प्रचार प्रसार की आवश्यकता है, क्योंकि यहां की जलवायु और मिट्टी इस अमरूद के लिए उपयुक्त है। उनका मानना है कि इस अमरूद के व्यवसायिक उपयोग होने से मांग बढ़ेगी। शिमला मिर्च का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पहले शिमला मिर्च केवल हरे रंग का होता था, लेकिन अब अन्य रंगों के शिमला मिर्च भी आ गए हैं और उसका व्यवसायिक उपयोग हो रहा है। उन्होंने संभावना जताते हुए कहा कि भविष्य में हरे अमरूद की तुलना में इसका व्यवसायिक मूल्य अधिक होगा, जिससे किसानों को कम मेहनत में अधिक लाभ मिल सकेगा।उनका मानना है कि इस अमरूद के पेड़ भी खूबसूरत लगते हैं, क्योंकि काले अमरूद का पत्ता हरे पत्ते की तुलना में अलग है। इसमें काला अमरूद फलने से घर की बगिया की खूबसूरती भी बढ़ेगी।
डॉ़ अहमद कहते हैं कि बीएयू में लाल गुद्दे वाले अमरूद के छिलके को भी काला करने को लेकर शोध किया जा रहा है। संभावना जताई जा रही है कि सितंबर तक इन पेड़ों में फलन पूरी तरह हो जाएगा। आशा जताई जा रही है कि एक पौधे से प्रतिवर्ष 60 से 70 किलोग्राम फल प्राप्त किया जा सकेगा। इधर, किसान भी अब काले अमरूद के पौधे लगाने को लेकर उत्सुक हैं। किसानों को कहना है कि बीएयू द्वारा इस अमरूद के पौधे का वितरण जब प्रारंभ होगा तब वे भी इसे अपने बगीचे में लगाएंगें। उल्लेखनीय है कि भागलपुर के सुल्तानगंज, जगदीशपुर, नाथनगर, सबौर, सहित कई इलाकों में विभिन्न प्रभेदों के अमरूद की उपज होती है।
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