भोपाल। गेहूं-धान-चना या अन्य प्रकार की उपज की गुणवत्ता को लेकर अब किसान को परेशान नहीं किया जा सकेगा। इस समस्या से निपटने के लिए शासन की ओर से पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के आधार पर साफ-सफाई एवं उड़ाई की मशीनें लगवाए जाने की योजना है। इस दिशा में बकायदा निविदा का प्रारूप तैयार हो चुका है। 7 मार्च को ई-टेंडर के माध्यम से निविदा निकाली जाएगी। खेत-खलिहान से गहाई के बाद किसान फसल को लेकर उपार्जन केंद्रों पर पहुंचता है। लेकिन अक्सर देखा जाता रहा है कि उपार्जन केेंद्रों पर किसान की फसल को मिट्टी-कचरा या भूसी की वजह से लेने से इंकार कर दिया जाता रहा है।
इसके बाद किसान को अनेक तरह से शोषण और परेशानी का शिकार होना पड़ता रहा है। सोसायटियों में बैठे लोग किसानों की इस कमी का बेजा फायदा उठाते रहे हैं। इसी समस्या को समाप्त करने के लिए शासन ने पर जिले के करीब दर्जन भर ऐसे खरीदी केंद्रों पर सफाई और छनाई मशीन लगवाने का निर्णय लिया है जो सोसायटियों द्वारा संचालित किए जाते रहे हैं। वेयरहाउसों और कैपस्टोरेज में तो ऐसे इंतजाम पहले से रहे हैं।
क्या लगेगा किसान का
अगर इस प्रक्रिया को अमलीजामा पहना लिया जाता है तो किसानों को अधिकतम 20 रुपए प्रति क्विंटल के मान से उपज की सफाई का साधन उपलब्ध होगा। पहले किसान को सौ या इससे भी ज्यादा रुपए प्रति क्विंटल तक का नुकसान झेलना पड़ता था।
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