नई दिल्ली । अमरीकी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी एप्पल (Apple) किसी परिचय का मोहताज नहीं है. एप्पल के प्रोडक्ट्स काफी खास हैं और कहा जा सकता है, कि ये इक्स्क्लूसिव प्रोडक्ट्स होते हैं. हाल ही में एप्पल ने अपने फ्लैगशिप स्मार्टफोन का लेटेस्ट मॉडल, iPhone 13 लॉन्च किया है जिसे काफी खरीदा जा रहा है. हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर iPhone 13 की स्क्रीन टूटती है तो यूजर्स इसे अपने आस-पास की दुकानों से रिपेयर नहीं करा पाएंगे. आइए इसके बारे में और जानते हैं..
लोकल दुकानें नहीं ठीक कर पाएंगी iPhone 13 की टूटी स्क्रीन
iPhone 13 को जब लॉन्च किया गया था तभी कई सारे लीकर्स ने यह सूचना दी थी कि इस फोन की स्क्रीन की मरम्मत कराना यूजर्स के लिए काफी कठिन हो सकता है. हाल ही में, iFixit ने यह सूचना कन्फर्म की है कि iPhone 13 के कुछ नये फीचर्स के कारण इस फोन की स्क्रीन अगर टूटती या क्रैक करती है तो इसे एप्पल के आधिकारिक स्टोर्स के अलावा कहीं से भी रिपेयर नहीं कराया जा पाएगा.
iFixit ने जारी की एक रिपोर्ट
iFixit ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जारी किया है कि iPhone 13 एक छोटे माइक्रोकंट्रोलर द्वारा मैनेज करा जाता है. इसलिए अगर डिस्प्ले में कोई दिक्कत आती है, तो जहां लोकल स्टोर्स हैंड टूल्स का इस्तेमाल करते हैं वहीं अब उन्हें एक माइक्रोस्कोप की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में अगर वो इस महंगे माइक्रोस्कोप को नहीं खरीदते हैं तो iPhone 13 को रिपेयर करने के अपने बिजनेस को उन्हें बंद करना पड़ जाएगा.
क्या है ये iPhone 13 का माइक्रोकंट्रोलर सिस्टम
iPhone 13 के इस माइक्रोकंट्रोलर सिस्टम को रिपेयर तकनीक में ‘सीरीअलाइजेशन’ (Serialisation) का नाम दिया गया है. इस माइक्रोकंट्रोलर पर एक सीरीअल नंबर होता है जिसे रिपेयर करने से पहले एप्पल के कर्मचारी वेरफाइ करते हैं जिससे पेयरिंग हो सके. आपको बता दें कि इसके बिना फेस आइडी को ऐक्टिवेट नहीं किया जा सकेगा और ये एक जरूरी स्टेप होता है. ऐसा करना लोकल स्टोर्स के लिए संभव नहीं है और उन्हें ऐसा करने के लिए एक महंगा डिवाइस लेना पड़ेगा. वहीं, एप्पल के आधिकारिक स्टोर्स पर यह काम Apple Services Toolkit 2 नाम के सॉफ्टवेयर की मदद से आराम से किया जा सकता है. इस तरह रिपेयर को एप्पल की क्लाउड सर्विसेज में लॉग करते हैं, फोन और स्क्रीन के सीरीअल नंबर को सिंक करते हैं और फिर आराम से रिपेयर का काम पूरा करते हैं.
आपको बता दें कि इसका जितना असर दुनिया के बाकी देशों पर पड़ेगा, उतना भारत पर नहीं पड़ेगा क्योंकि यहां आज भी एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स का इस्तेमाल ज्यादा होता है और उन्हें रिपेयर करना भी आसान है.
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