नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र में गाजा में मानवीय आधार पर सीजफायर के लिए प्रस्ताव पेश किया गया। इस प्रस्ताव का 120 देशों ने समर्थन किया लेकिन भारत, ब्रिटेन, जर्मनी समेत 45 देशों ने वोटिंग से खुद को अलग रखा। वहीं यूनाइटेड नेशंस में भारत के रुख पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भड़क गईं। उन्होंने भारत के रुख पर बड़ी हैरानी जताई और विदेश नीति को जमकर कोसा।
प्रियंका ने कहा- भारत सरकार के कदम से शर्मिंदा हूं
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने शनिवार को कहा कि यूएन में भारत के कदम से वह ‘स्तब्ध और शर्मिंदा’ हैं। भारत संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव पर वोटिंग से हट गया, जिसमें मौजूदा इजराइल-हमास संघर्ष में मानवीय सीजफायर का समर्थन किया गया था। महात्मा गांधी के शब्दों का हवाला देते हुए प्रियंका गांधी ने कहा, “आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है और एक स्टैंड लेने से इंकार करना उन सभी चीजों के खिलाफ है जिसके लिए देश एक राष्ट्र के रूप में खड़ा रहा है।”
प्रियंका गांधी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “मैं स्तब्ध और शर्मिंदा हूं कि हमारे देश ने गाजा में युद्धविराम के लिए मतदान करने से परहेज किया है। हमारे देश की स्थापना अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर हुई थी, जिन सिद्धांतों के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन लगा दिया। ये सिद्धांत आधार बनते हैं संविधान की जो हमारी राष्ट्रीयता को परिभाषित करता है। वे भारत के नैतिक साहस का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्य के रूप में इसके कार्यों का मार्गदर्शन किया है।”
प्रियंका ने आगे कहा, “फिलिस्तीन में मानवता के हर कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। लाखों लोगों और हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए भोजन, पानी, चिकित्सा आपूर्ति, संचार और बिजली काट दी गई है। इसलिए स्टैंड लेने और चुपचाप देखना उसके खिलाफ है जिनके लिए हमारा देश एक राष्ट्र के रूप में जीवन भर खड़ा रहा है।”
शरद पवार ने भी किया है विरोध
वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को कहा कि फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत सरकार में भ्रम की स्थिति है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों में ऐसा भ्रम कभी नहीं देखा और देश के इतिहास में भारत की नीति हमेशा फिलिस्तीन का समर्थन करने की रही है, न कि इज़राइल की। शरद पवार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इज़राइल के साथ एकजुटता व्यक्त की थी ताकि विदेश मंत्रालय बाद में कुछ अलग कह सके।
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