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RS में अमित शाह तो LS में चंद्रशेखर पेम्मासानी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस, जानिए विवाद की वजह

  • March 27, 2025

    नई दिल्‍ली। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) और केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी (Chandrasekhar Pemmasan) के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। नोटिस में कांग्रेस ने दोनों केंद्रीय मंत्रियों पर भ्रामक और निराधार टिप्पणी करने के आरोप लगाए हैं। राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने कांग्रेस संसदीय दल की नेता और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी पर आक्षेप लगाने के लिए गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है।

    जयराम रमेश ने आपदा प्रबंधन विधेयक, 2024 पर बहस का जवाब देते हुए शाह पर सोनिया गांधी की प्रतिष्ठा को “खराब करने के लिए पूर्व नियोजित मकसद” रखने का भी आरोप लगाया। यह विवाद अमित शाह की उस टिप्पणी पर केंद्रित है, जिसमें उन्होंने कांग्रेस शासन के दौरान स्थापित प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की तुलना नरेंद्र मोदी सरकार के तहत पीएम-केयर्स फंड से की थी।

    अमित शाह ने क्या कहा था?
    25 मार्च यानी मंगलवार को राज्यसभा में शाह ने आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा , “प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष कांग्रेस के शासन में बना और पी एम केयर्स नरेन्द्र मोदी जी के शासन में बना। कांग्रेस के शासन में उस फंड पर एक परिवार का ही नियंत्रण होता था मान्यवर। इसके अंदर कांग्रेस के अध्यक्ष सदस्य होते थे मान्यवर। कांग्रेस अध्यक्ष उस सरकारी फंड का हिस्सा थे। क्या जवाब दोगे देश की जनता को। उन्हें लगता है कि कोई इसे नहीं पढ़ता, कोई इस पर ध्यान नहीं देता।”



    जयराम रमेश का क्या तर्क
    इसके जवाब में जयराम रमेश ने तर्क दिया कि शाह ने हालांकि सोनिया गांधी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान का स्पष्ट रूप से निहितार्थ और कटाक्ष उन्हीं पर था। रमेश ने कहा, “यह अच्छी तरह से स्थापित है कि सदन के किसी भी सदस्य पर टिप्पणी करना या अपमानजनक संदर्भ देना विशेषाधिकार का उल्लंघन और सदन की अवमानना ​​है।” जयराम रमेश ने यह नोटिस बुधवार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड को राज्यसभा के कामकाज और प्रक्रिया के नियम 188 के तहत भेजा है।

    उन्होंने कहा कि यह विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना का मामला है। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी पर लगाये गये निराधार आरोपों से उनकी छवि धूमिल हुई है। उन्होंने मांग की कि इसे ध्यान में रखते हुए शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के मामले में कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए।

    लोकसभा में क्या विवाद?
    दूसरी तरफ, लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक मणिकम टैगोर ने भी बुधवार को ग्रामीण विकास राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी के खिलाफ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को लेकर सदन में ‘भ्रामक’ बयान देने का आरोप लगाया और उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को दिए नोटिस में टैगोर ने कहा कि ग्रामीण विकास राज्य मंत्री ने मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान तमिलनाडु को पिछले पांच महीनों से बकाया मनरेगा की 4,034 करोड़ रुपये राशि जारी करने में देरी पर द्रमुक सांसद के. कनिमोझि के पूरक प्रश्न का जवाब देते हुए ‘तथ्यात्मक रूप से गलत’ बयान दिया।

    कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘पेम्मासानी ने दावा किया कि सात करोड़ की आबादी वाले तमिलनाडु को उत्तर प्रदेश, जिसकी आबादी 20 करोड़ से अधिक है, की तुलना में अधिक मनरेगा राशि मिलती है। उनका कहना था कि उत्तर प्रदेश को करीब 10,000 करोड़ रुपये मिलते हैं, जबकि तमिलनाडु को 10,000 करोड़ रुपये से अधिक मिलते हैं।’’ टैगोर ने कहा कि मनरेगा की वेबसाइट पर उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में उत्तर प्रदेश के लिए कुल व्यय 11,860 करोड़ रुपये है, जबकि तमिलनाडु के लिए व्यय 10.687 करोड़ रुपये है। उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री का बयान भ्रामक है और ऐसे में उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है।

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