नई दिल्ली। भारत (India) के उपराष्ट्रपति (Vice President) एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को निजी क्षेत्र (Private sector) से आगे आने और ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक कैंसर उपचार (Cancer treatment in rural areas) सुविधाएं प्रदान करने के लिए राज्य सरकारों के साथ साझेदारी करने का आह्वान किया है।
पूर्वोत्तर राज्यों के आठ दिवसीय दौरे पर निकले उपराष्ट्रपति ने गुवाहाटी में राज्य कैंसर संस्थान में पीईटी-एमआरआई विंग का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह ना केवल अधिक सटीक निदान में मदद करेगा, लेकिन इससे रोगियों के रेडिएशन के संपर्क में भी कमी आएगी।
उपराष्ट्रपति ने महामारी के दौरान प्रदान की गई सेवाओं के लिए असम सरकार और राज्य की चिकित्सा बिरादरी की सराहना की। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा को आम आदमी के लिए अधिक सुलभ और वहनीय बनाने का भी आह्वान किया है। इस संबंध में उन्होंने प्रधानमंत्री के उस बयान को दोहराया कि देश के हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कॉलेज की जरूरत है।
डिस्ट्रीब्यूटेड कैंसर केयर मॉडल के तहत, एल 1 नामक एक एपेक्स रेफरल सेंटर, सरकारी मेडिकल कॉलेजों से जुड़े व्यापक कैंसर अस्पताल, एल2एस और डायग्नोस्टिक और डे केयर सेंटर, जो जिला अस्पतालों से सटे हुए हैं, जिन्हें एल 3 कहा जाता है, की योजना है।
मरीजों के घरों के करीब मानकीकृत और सस्ती देखभाल देने के लिए रोगी-केंद्रित कैंसर संस्थान बनाने के उद्देश्य का उल्लेख करते हुए, एक शीर्ष अस्पताल में कैंसर रोगी के उपचार को संभालने के बजाय, नायडू ने कहा कि वे घर के करीब उच्च गुणवत्ता वाली कैंसर देखभाल प्रदान करेंगे और कैंसर रोगियों के लिए अपनी जेब से खर्च कम करना कम करेंगे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि उपशामक देखभाल एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिस पर सरकारों और स्वास्थ्य पेशेवरों को अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “उपशामक देखभाल मूल रूप से सहायक देखभाल है और रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना चाहता है।”
नायडू ने सभी राज्य सरकारों से बच्चों को गैर-संचारी रोगों को रोकने की आवश्यकता के बारे में जागरूक करने के लिए स्कूल पाठ्यक्रम में स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के महत्व पर पाठ शामिल करने का भी आग्रह किया। उन्होंने ‘जीवनशैली रोगों’ के बारे में लोगों में जागरूकता लाने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान का आह्वान किया।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में कैंसर के 14 लाख नए मामले सामने आए और 2025 तक यह संख्या बढ़कर 16 लाख हो जाने का अनुमान है।
उन्होंने कहा, “मुझे बताया गया है कि पापुम के साथ भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में कैंसर का भारी बोझ है। अरुणाचल प्रदेश का पारे जिला भारत में इस बीमारी की सबसे अधिक घटनाओं की रिपोर्ट कर रहा है। असम में भी कैंसर का अधिक बोझ है, 2020 में लगभग 52,000 नए मामले सामने आए हैं।”
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