- कोर्ट के आदेश के बावजूद नहीं किया जा रहा स्कूल और कॉलेज के वाहनों का मेंटेनेंस-जवाबदार विभाग भी अनदेखी कर रहे
उज्जैन। शहर के अधिकांश निजी स्कूल और कॉलेजों में बच्चों से तगड़ी फीस वाहन सुविधा के नाम पर वसूली जा रही है। बावजूद इसके संचालक वाहनों का मेंटेनेंस नहीं करा रहे। स्कूल से लेकर कॉलेज के वाहनों तक में सीधे-सीधे बच्चों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। कल हुई स्कूल वेन दुर्घटना के बाद एक बार फिर संबंधित विभाग स्कूल प्रबंधन को नोटिस देने और जाँच करने में जुट गए हैं, जबकि एक साल पहले कोर्ट ने सख्त आदेश दिए थे कि ऐसे वाहनों की जाँच की जाए और गड़बडिय़ाँ पाए जाने पर कार्रवाई करते हुए वाहनों को जब्त किया जाए। नागझिरी के समीप स्थित मदर लेंड स्कूल की वेन कल दोपहर बाद धतरावदा मार्ग पर अनियंत्रित होकर पेड़ से टकराकर पलट गई थी। इस दुर्घटना में वेन में सवार 20 बच्चे घायल हो गए थे और ड्रायवर की मौत हो गई थी।
दुर्घटना के बाद अचानक पुलिस और प्रशासन का अमला हरकत में आ गया था। मौके पर पुलिस, प्रशासनिक तथा परिवहन विभाग के अधिकारी भी पहुँच गए थे और बच्चों को जिला अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था। इसके बाद अधिकारियों की यही टीम स्कूल भी पहुँची थी लेकिन वहाँ स्कूल प्रबंधन द्वारा अलमारी की चाबी नहीं होने का हवाला देकर वेन से जुड़े दस्तावेज नहीं दिखाए गए थे। इस पर अधिकारियों ने कहा था कि वे आज फिर से स्कूल जाकर स्कूल वेन से संबंधित दस्तावेजों में परमिट, फिटनेस सहित चालक के लायसेंस आदि की जानकारी तलब करेंगे। उल्लेखनीय है कि शहरी क्षेत्र में ही 100 से ज्यादा निजी स्कूल और कॉलेज हैं। इनमें से करीब 20 फीसदी स्कूल कॉलेजों में बच्चों को लाने-ले जाने के लिए बसें और वेन चलाई जा रही है। पिछले साल हाईकोर्ट ने निर्देश जारी किए थे कि पुलिस तथा आरटीओ का अमला स्कूल और कॉलेजों में चलने वाली बसों और अन्य वाहनों के फिटनेस परमिट की सख्ती से जाँच करे। ऐसे वाहन अगर मापदंडों पर खरे नहीं उतरते हैं तो उन्हें जब्त किया जाए और नियमानुसार कार्रवाई की जाए। उस दौरान भी आरटीओ और पुलिस विभाग ने अभियान चलाकर दो-तीन दिन स्कूल और कॉलेज में चलने वाले बसों और अन्य वाहनों की जाँच की थी। दो-तीन माह पहले भी जब नानाखेड़ा मार्ग पर दो कॉलेजों की बसें आपस में टकरा गई थी तब भी स्कूल और कॉलेज की बसों के दस्तावेज नोटिस जारी कर तलब किए गए थे। उस दौरान लगभग 20 स्कूल कॉलेजों को नोटिस जारी हुए थे लेकिन अभी तक किसी ने भी इसका जवाब नहीं दिया। कुल मिलाकर तगड़ी फीस वसूलने वाले स्कूल कॉलेज संचालकों को बच्चों की जान की परवाह नहीं है और न ही उनकी हाईकोर्ट के नियम का पालन करने में। इसके विपरित आरटीओ और पुलिस विभाग भी दुर्घटना के वक्त एक-दो दिन जाँच और नोटिस जारी करने की रस्म अदायगी की जाएगी। नोटिस जारी करने के बाद अधिकारी भी जवाब तलब नहीं करते। शायद इसी के चलते कई स्कूल और कॉलेज में चल रही खटारा बसें और अन्य वाहन बेखौफ सड़कों पर दौड़ रहे हैं। बस एवं अन्य वाहनों के कागजात फिर तलब किए
कल देवास रोड पर हादसे के बाद आरटीओ संतोष मालवीय ने एक बार फिर सभी स्कूल संचालकों को पत्र जारी किया है जिसमें कहा है कि सत्र शुरू होने के पहले स्कूल बसों के कागजात आरटीओ में जमा कराएं, उन कागजात के आधार पर बस का भौतिक सत्यापन आरटीओ के अधिकारी करेंगे और उसके पश्चात ही इन वाहनों को सड़कों पर चलाने की अनुमति दी जाएगी।