उज्जैन। शासकीय चरक अस्पताल परिसर में निजी अस्पतालों के एजेंट सक्रिय हैं। एम्बुलेंस चालक, ऑटो चालक के साथ-साथ अस्पताल कर्मचारी भी कमीशन के इस खेल में शामिल है जो बेहतर इलाज का हवाला देकर मरीज को निजी अस्पतालों में शिफ्ट करवा रहे हैं। इसके एवज में एजेंट को निजी अस्पतालों से मोटा कमीशन मिल रहा हैं।
उल्लेखनीय है कि उज्जैन जिले के हजारों मरीजों के नि:शुल्क उपचार की व्यवस्था संभालने वाले चरक अस्पताल में इन दिनों निजी अस्पतालों के एजेंटों की सक्रियता बनी हुई है। ये एजेंट चरक अस्पताल परिसर से लेकर इमरजेंसी वार्ड तक, ओपीडी से लेकर मरीजों के भर्ती वार्ड तक पहुँच रहे हैं। इनकी नजर ऐसे आयुष्मान कार्ड धारी मरीजों पर रहती है जो चरक अस्पताल में आने के बाद या तो यहीं उपचार करवा रहे होते हैं या फिर इंदौर के लिए रैफर किए जाते हैं या फिर जो स्वेच्छा से निजी अस्पताल जाने की तैयारी कर रहे होते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि इस काम में अस्पताल के कर्मचारी ही मरीज के स्वजनों से बातचीत कर उनको भरोसे में लेकर निजी अस्पताल के एजेंट से मुलाकात करवाते हैं। मरीज के निजी अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में एजेंट द्वारा इनको कमीशन दिया जाता है। ऐसा नहीं है कि निजी अस्पतालों के ये एजेंट जिला अस्पताल प्रबंधन की नजरों से बचे हुए हैं, इनको कई बार पकड़ा भी गया है लेकिन प्रबंधन उन पर बड़ी कार्रवाई करने की बजाए दोबारा ऐसा नहीं करने की चेतावनी देकर छोड़ रहा हैं। नतीजतन, ये एजेंट फिर से चरक अस्पताल में सक्रिय हो जाते हैं।
रोजाना 25 से ज्यादा आयुष्मान मरीज आते हैं अस्पताल
चरक अस्पताल में रोजाना औसतन 125 मरीज ओपीडी में आते हैं। इसके अलावा गंभीर बीमारी, सड़क के हादसे, हृदयाघात, जहरीला पदार्थ खाने, करंट लगने आदि के मामले में इमरजेंसी में आते हैं। इनमें से कई को प्राथमिक उपचार करने के बाद तुरंत रैफर करना पड़ता है। स्वजन कुछ मरीजों को इंदौर ले जाते हैं तो कुछ को उज्जैन में ही अलग-अलग निजी अस्पतालों में भर्ती करवाते हैं। वहीं रोजाना करीब 20 से अधिक मरीज आयुष्मान कार्ड धारी या फिर इसकी पात्रता रखने वाले आते हैं। यहीं से एजेंट की सक्रियता बढ़ जाती हैं और चरक अस्पताल की तुलना में बेहतर इलाज का प्रलोभन देकर वे मरीजों को निजी अस्पताल में शिफ्ट करवा रहे हैं।
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