इन्दौर। टीबी से निपटने के लिए इंदौर जिले को टीबी मुक्त भारत अभियान के अन्तर्गत उन्मूलन हेतु नेशनल सर्टिफिकेट सर्वे में ब्रांज कैटेगरी के लिए नामित किया गया है। हालांकि इसके लिए भारत सरकार और डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधियों द्वारा शासकीय कर्मचारियों को छोडक़र प्राइवेट एजेंसी के लोगों से सर्वे कराया जा रहा है।
10 से 25 जनवरी तक इंदौर जिले में टीबी रोग से संबंधित सब नेशनल सर्टिफिकेट सर्वे अभियान शुरू किया गया है, जिसके अंतर्गत जिले में 10 सदस्यीय दल घर-घर जाकर जमीनी स्तर पर कार्रवाई की जांच पड़ताल कर रहा है। 60 हजार की जनसंख्या का सर्वे सुनिश्चित किया गया है, जिसके अंतर्गत दो सप्ताह से अधिक की खांसी वाले सभी मरीजों का परीक्षण कराया जाएगा। 15 दिवस चलने वाले इस सर्वे में शासन ने शासकीय कर्मचारियों को छोडक़र यह सर्वे निजी हाथों में दिया है। प्राइवेट एजेंसी के कर्मचारियों द्वारा वास्तविक परीक्षण कर इंदौर का रिजल्ट तैयार किया जाएगा।
हरी झंडी दिखाई
एमजीएम मेडिकल कालेज के डा. संजय दीक्षित, संभागीय संयुक्त संचालक डा. अशोक डागरिया व एमजीएम मेडिकल कालेज के टीबी एवं चेस्टरोग विभागाध्यक्ष डा. सलील भार्गव ने कल सर्वे दल को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। निजी कम्पनी द्वारा सब नेशनल सर्टिफिकेशन टीबी सर्वे की शुरुआत कर दी गई है। सर्वे के उपरांत भारत शासन द्वारा इंदौर जिले के लिए गठित डब्ल्यूएचओ कंसल्टेन्ट व अन्य सदस्यों के दल द्वारा सर्वे व अन्य बिन्दुओं का परीक्षण किया जाएगा। इंदौर जिले मेें प्रति लाख टीबी मरीजों की संख्या का विश्लेषण कर जांच रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी। प्रति लाख टीबी मरीज पूरे देश की तुलना में कितने हैं एवं इंदौर जिले में टीबी मुक्ति के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं, इसका विश्लेषण कर पुरस्कृत किया जाएगा।
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