भोपाल। जेल के अंदर बंदियों में नशे की लत छुड़ाने का इंतजाम हो रहा है। प्रदेश में 11 सेंट्रल और दो सर्किल (शिवपुरी और रतलाम) जेल में नशामुक्ति केन्द्र तैयार हो रहे हैं। दरअसल अपराध विशेषज्ञ मानते हैं ज्यादातर अपराध नशे में होते हैं। जेल में अपराधियों की नशे की आदत छूटेगी तो सलाखों के बाहर निकल कर अपराध से भी बचेंगे। ऐसे बंदी जो नशे के बिना नहीं रह सकते उन्हें नशामुक्ति केंद्र में रखा जाएगा। जेल के चिकित्सक, मनोरोग चिकित्सक और काउंसर उनका इलाज करेंगे। कोशिश की जाएगी बंदी जेल से बाहर निकल भी नशा नहीं करें।
ऐसे होती जेल में नशा तस्करी
बंदियों को नशा मुहैया कराने में तमाम जेलकर्मी पकड़े गए हैं। यह लोग टोपी को उधेडकऱ उसमें नशा भरकर, जूते में रखकर, अंडरगारमेंट के अलावा टिफिन और जेल में आने वाले राशन और सब्जियों के बीच में भी नशा छिपाकर लाते रहे हैं।
सीटी में गांजा भरकर लाया सिपाही
बंदी नशा छोड़ेंगे तो जेल में नशा तस्करी का धंधा भी बंद होगा। जेल के अंदर नशे की डिमांड है। कुछ जेलकर्मी बंदियों की लत से पैसा कमा रहे हैं। उनके लिए दो नंबर में गांजा, चरस, स्मैक, बीडी, तंबाकू की तस्करी कर रहे हैं। हाल में जेल का सिपाही विपिन लोधी बंदी से डील होने पर उसके लिए सीटी में गांजा भरकर लाया था, लेकिन पकड़ा गया तो सस्पेंड किया गया।
पुरानी इमारत में शुरू होगा नया प्रयोग
सेंट्रल जेल (ग्वालियर) के पुराने अस्पताल में नशामुक्ति सेंटर बन रहा है। इसमें 25 बिस्तर रहेंगे। शुरुआत 15 बिस्तर से होगी। इसमें ग्वालियर के अलावा भिंड, मुरैना और दतिया की उपजेल से भी नशेडिय़ों को लाकर उनका नशा छुड़ाया जाएगा। जेल अधिकारी कहते हैं जेल में 3200 बंदी हैं। वैसे तो आधे से ज्यादा बंदी नशेबाज हैं। इनमें कुछ ऐसे हैं जो नशे के बिना नहीं रह सकते हैं। उनमें सुधार जरूरी है। क्योंकि इन्हें जेल में नशा नहीं मिलता तो उत्पात मचाते हैं। दूसरे बंदियों पर हमला करते हैं। सुसाइड की धमकी देते हैं।
नशा नहीं मिलने पर करते हैं उत्पात
नशा नहीं मिलने पर बंदी सलाखों में भागते, दीवारों से सिर पटकते हैं। दवाई के ट्यूब की नोंक को धारदार कर हाथ पैर काटने की कोशिश करते हैं। करीब 15 दिन पहले जेल में राहुल सहित तीन बंदियों ने स्मैक नहीं मिलने पर ब्लैड गुटकने की धमकी देकर खलबली मचा दी। इन तीनों बंदियों को ग्वालियर जेल से हटाकर दूसरी जेल भेजा गया है।
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