गंजबासौदा। जेल में बंद कैदी लोग अपना आत्म अवलोकन करे अपनी गलती को महसूस करके अपने आचरण में बदलाव लाए। तभी उनके जीवन की दशा और दिशा दोनों बदलेगी, तभी उनके आत्म कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा। यह बात स्थानीय उप जेल में विधिक सहायता समिति के तत्वावधान में आयोजित शिविर में अतिरिक्त जिला न्यायधीश अशोक भारद्वाज ने कही।
इस अवसर पर न्यायाधीश शशांक सिंह राजपूत ने संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार एवं कर्तव्यों को विस्तार से बतलाते हुए कहा कि शासन द्वारा प्रदत्त विधिक सहायता को अंगीकार कर बंदी अपने भविष्य का नव निर्माण कर सकते है। इस अवसर पर उपजेल के उप अधिक्षक आलोक कुमार भार्गव ने जेल मेन्यूअल एवं जेल लीगल क्लीनिक के बारे मे विस्तार से बताया। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता सुनील बाबू पिंगले ने अपने उदबोधन मे कहा कि हर अपराध के मूल मे अज्ञानता, अशिक्षा, तथा आवेश एंव नशे का सबमिश्रण होता है। यदि समय रहते अपनी भूल को स्वीकार किया जाये तो अपराधों में काफी कमी आयेगी तथा व्यक्तित्व में सुधार आएगा। शिविर का संचालन करते हुए विधिक सेवा समिति की ओर से अधिवक्ता राजेश सक्सेना द्वारा शासन द्वारा दी गई नि:शुल्क विधिक सहायता के बारे मे कहा कि कई बंदियों को इसकी जानकारी न होने के कारण उचित न्याय पाने से वे वंचित रह जाते है।
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