उज्जैन। भैरवगढ़ जेल में करीब 3 साल बाद कैदियों के उपचार के लिए स्थायी चिकित्सक की नियुक्ति हो पाई है। हालांकि मानसिक रोगियों के उपचार के लिए हर सप्ताह जिला अस्पताल से डॉक्टर यहाँ पहुँचते हैं। अन्य बीमारियों के मरीजों के लिए उपचार की ऐसी कोई साप्ताहिक व्यवस्था भी नहीं हैं। गंभीर बीमार होने के बाद भी कैदियों को उपचार के लिए जिला अस्पताल के जेल वार्ड या अन्य अस्पताल में भेजा जाता है। भैरवगढ़ जेल में फिलहाल 2 हजार से ज्यादा कैदी अलग-अलग अपराधों की सजा काट रहे हैं। इनमें से 80 से ज्यादा कैदी ऐसे हैं जिन्होंने हत्या और अन्य जघन्य अपराध किए हैं और वे मानसिक रोग का शिकार हो चुके हैं। ज्यादा कैदियों को कोर्ट आजीवन कारावास की सजा सुना चुका है। इन मानसिक रोगी कैदियों के लिए जेल में अलग से बैरक की व्यवस्था है। सप्ताह में एक बार मानसिक रोग विशेषज्ञ इनका उपचार करने भी आते हैं।
जेल सूत्रों के मुताबिक केन्द्रीय जेल भैरवगढ़ में 600 से ज्यादा कैदी ऐसे हैं जिन्हें अपराध सिद्ध होने के बाद न्यायालय अपराध के मुताबिक सजा सुना चुका है। कई कैदी सैकड़ों की संख्या में विचाराधीन भी हैं जिनके मामले न्यायालय में अभी पेंडिंग हैं। जेल की क्षमता 2200 कैदियों तक रखने की है। फिलहाल यहाँ 2100 के लगभग बंदी सजा भुगत रहे हैं। जिला चिकित्सालय के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. विनीत अग्रवाल ने बताया कि भैरवगढ़ जेल में भी 80 से ज्यादा कैदियों कैदी ऐसे हैं जो मानसिक रोग से ग्रस्त हैं और ऐसे कैदियों को जेल प्रशासन ने अन्य कैदियों से पृथक अलग बैरक में रखा है। सप्ताह में एक बार गुरुवार के दिन वहाँ जाकर डॉ. विनीत गुप्ता ऐसे कैदियों का परीक्षण और उपचार करते हैं। इधर करीब 3 साल बाद जेल में कैदियों उपचार के लिए जिला अस्पताल से डॉ. मीणा को भेजा गया है। लेकिन अन्य बीमारी से ग्रसित कैदियों के लिए मानसिक रोगियों की तरह हर सप्ताह परीक्षण और उपचार की व्यवस्था नहीं है।
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