बीजिंग। कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के खिलाफ दुनियाभर के देश इस बात पर एकमत हैं कि हेल्थ केयर वर्कर्स (Health Care Workers) और वरिष्ठ नागरिकों (Senior Citizens) का टीकाकरण सबसे पहले किया जाए. भारत ने भी अपने वैक्सीनेशन कार्यक्रम (Vaccination Program) में इसी बात पर जोर दिया है. लेकिन चीन ने बिल्कुल उलट रणनीति अपनाई है. चीन की वैक्सीनेशन नीति में हेल्थ केयर वर्कर्स और वरिष्ठ नागरिकों का नाम टॉप प्रायरिटी में नहीं है.
चीन के वैक्सीनेशन कार्यक्रम (Vaccination Program) में वरिष्ठ नागरिकों और हेल्थ केयर वर्कर्स (Health Care Workers) पर सैनिकों और अर्थव्यवस्था को प्राथमिकता दी जा रही है. संडे गार्जियन पर प्रकाशित एक लेख के मुताबिक वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने के लिए चीन ने कोरोना के हाई रिस्क ग्रुप में शामिल वरिष्ठ नागिरकों (Senior Citizens) और हेल्थ केयर वर्कर्स (Health Care Workers) को दरकिनार कर दिया है.
चीन ने अपने कार्यक्रम में 59 वर्ष से ऊपर के लोगों को दरकिनार कर दिया है. चीन में बहुत बड़ी संख्या वरिष्ठ नागरिकों की है, लेकिन इसकी अनदेखी की जा रही है. चीन की तानाशाही व्यवस्था का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वैक्सीनेशन कार्यक्रम में हेल्थ केयर वर्कर्स को चौथी प्राथमिकता पर रखा गया है.
चीन के वैक्सीनेशन में पहली प्राथमिता पर वो लोग हैं जो कोल्ड चेन की सप्लाई से जुड़े हुए हैं. इसके बाद बंदरगाहों पर काम करने वाले कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जा रही है. फिर ट्रांसपोर्टेशन से जुड़े लोगों का नंबर है. इसके बाद हेल्थ केयर वर्कर्स का नंबर आता है.
समझा जा सकता है कि चीन अपनी आर्थिक ताकत को बनाए रखने के लिए किस कदर बेचैन है. कोरोना काल में दुनिया के सभी देशों ने हेल्थ केयर वर्कर्स के प्रति अपनी कृतज्ञता जताई है. लेकिन चीन को इसकी चिंता नहीं है. महामारी में दूसरों की सेवा में जान गंवाने वाले स्वास्थ्यकर्मियों से ज्यादा वह अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित है.
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