भोपाल। मप्र हाईकोर्ट में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में संशोधन कर लोकसेवक की जांच के पहले अनुमति लिए जाने के प्रावधान जोडऩे को चुनौती दी गई है। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने केन्द्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी को होगी।
बर्डफ्लू की सिफारिशों पर सरकार को नोटिस
मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि बर्ड फ्लू को लेकर वर्ष 2006 में गठित मॉनिटरिंग कमेटी की सिफारिशों पर कितना अमल किया गया। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने एक हफ्ते में जवाब मागा है। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2006 में भी बर्ड फ्लू फैला था। तब हाईकोर्ट ने डॉ. जेएल वेगड़ और अन्य विशेषज्ञों की मॉनिटरिंग कमेटी बनाई थी। कमेटी ने सिफारिश की थी कि प्रदेश में बर्ड फ्लू की जांच के लिए ज्यादा से ज्यादा प्रयोगशालाएं बनाई जाएं। जागरुकता फैलाई जाए। पोल्ट्री वर्कर्स को प्रशिक्षित किया जाए। हाईकोर्ट ने सरकार को सिफारिशों पर अमल का निर्देश दिया था, पर ऐसा नहीं हुआ।
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