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    इंदौर प्रीमियर बैंक में अब लाखों का प्रिंटिंग घोटाला

  • September 05, 2020

    • बिना टेंडर और रजिस्ट्रेशन के ही उज्जैन की दो फर्मों को दे डाले ठेके… अब जांच शुरू

    इंदौर। तमाम सहकारी संस्थाओं और बैंकों में अनियमितताएं उजागर होती रही है। इसी कड़ी में इंदौर प्रीमियर को-ऑपरेटिव बैंक में लाखों रुपए का प्रिंटिंग घोटाला सामने आया है। बैंक प्रबंधन ने बिना टेंडर और रजिस्ट्रेशन के ही उज्जैन की दो फर्मों को ठेका दे डाला, जबकि इन फर्मों के पास खुद की प्रिंटिंग प्रेस ही नहीं है और इन्होंने अन्य बाहरी प्रेस से मुद्रण का कार्य करवाया। अब इस घोटाले की जांच सहकारिता विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने शुरू कर दी है। इस संबंध में मय प्रमाण शिकायत विभागीय मंत्री से लेकर आयुक्त सहकारिता भोपाल को भी सौंपी गई है और भुगतान पर रोक लगाने की मांग की गई ।
    आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्था ने 1.06.2011 को ही इस संबंध में स्पष्ट आदेश जारी किए हैं, जिसमें सभी संस्थाओं को वर्ष के प्रारंभ में उपयोग में आने वाली मुद्रण सामग्री की आवश्यकता का आंकलन कर मुद्रण कार्य नियमानुसार करवाने के निर्देश दिए गए, लेकिन इंदौर प्रीमियर को-ऑपरेटिव बैंक प्रबंधन ने सारे नियमों को ताक पर रख लाखों रुपए की प्रिंटिंग का अवैध रूप से ठेका दे डाला। भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के नगर संयोजक जगमोहन वर्मा का कहना है कि उज्जैन की अवंतिका स्टेशनरी एंड प्रिंटिंग औद्योगिक सहकारी संस्था बी-17, बीडी क्लॉथ मार्केट और बालाजी सहकारी संस्था उद्यन मार्ग प्रेम परिसर को ये प्रिंटिंग के कार्य दिए गए, जबकि 25 हजार रुपए की राशि बैंक में जमा करवाई जाना थी और प्रिंटिंग कार्य के लिए टेंडर में भाग लिया जाना था, लेकिन किसी भी शर्त का पालन नहीं किया और बिना संस्थाओं के पंजीयन और बिना टेंडर बुलाए ही प्रिंटिंग के ठेके देकर आर्थिक अनियमितता की गई। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि इन दोनों संस्थाओं का कार्य क्षेत्र उज्जैन नगर सीमा तक सीमित है, लेकिन बैंक प्रबंधन ने कार्य क्षेत्र के बाहर प्रिंटिंग का ठेका दे डाला, जबकि नियम यह है कि पंजीकृत संस्थाएं कोटेशन निविदाओं के जरिए ही मुद्रण का काम कर सकेंगी और वे खुद मुद्रण करेगी, किसी अन्य मुद्रणालयों से यह कार्य नहीं करवाया जा सकेगा। इसके लिए बनाई गई कमेटी के समक्ष कोटेशन या टेंडर खोले जाएंगे और अगर अनुमानित दरों में भिन्नता है या न्यूनतम दर देने वाले तीन टेंडर आ गए तो निगोसिएशन के बाद पात्र फर्म का टेंडर मंजूर किया जाएगा। इंदौर प्रीमियर बैंक ने इन नियमों का पालन भी नहीं किया, जबकि उज्जैन की दोनों संस्थाओं में मुद्रण कार्य नहीं होना पाया गया और यह कार्य अन्य मुद्रणालय से करवाया गया, जिसके प्रमाण संस्था के रिकॉर्ड में उपलब्ध है। श्री वर्मा के मुताबिक उल्लेखित शर्त के मुताबिक कागज की क्वालिटी और वजन में भी फर्क पाया गया और यह कार्य भी निर्धारित गुणवत्ता के अनुरूप नहीं हुआ। दोनों संस्थाओं के पास पर्याप्त मशीन की बजाय मुद्रण से संबंधित कोई मशीन ही नहीं है और इसके प्रमाण संस्थाओं की स्टॉक सूची से अवलोकन से साबित भी हो जाते हैं। मुद्रण का भुगतान करने के पूर्व मुद्रणालय से यह प्रमाण-पत्र भी लिया जाता है कि उक्त मुद्रण का कार्य उनकी संस्था के द्वारा ही किया गया है और किसी अन्य मुद्रणालय में यह कार्य नहीं करवाया गया, लेकिन प्रीमियर बैंक प्रबंधकों ने इन दोनों संस्थाओं का भुगतान करने के लिए इस तरह का कोई भी प्रमाण-पत्र प्राप्त नहीं किया कि उन्होंने खुद ही मुद्रण का कार्य किया है। इतना ही नहीं मुख्य कार्यपालन अधिकारी का दायित्व है कि एक वर्ष में उपयोग में आने वाली मुद्रण सामग्री से अधिक मात्रा में मुद्रण का कार्य तो नहीं करवाया गया, इसके भी रिकॉर्ड की जांच नहीं की गई। लिहाजा श्री वर्मा ने इस प्रिंटिंग घोटाले की जांच सहकारिता मंत्री अरविन्द भदौरिया, आयुक्त सहकारिता के अलावा इंदौर स्थित उपायुक्त और प्रशासक सहकारिता को मय प्रमाण इस मामले की जांच कर उचित कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखे हैं।

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