नई दिल्ली: सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Saudi Arabia’s Crown Prince Mohammed bin Salman) जी-20 शिखर सम्मेलन (G-20 Summit) में हिस्सा लेने के लिए भारत आ रहे हैं. वो न केवल 9-10 सितंबर के बीच आयोजित हो रहे शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे बल्कि एक और दिन भारत में रुकेंगे क्योंकि भारत ने उन्हें स्टेट विजीट का भी निमंत्रण (State visit also invited) दिया है. इसे लेकर वैश्विक पटल पर अलग-थलग पड़े पाकिस्तान की नींद उड़ी हुई है. पाकिस्तानी अधिकारी इस कोशिश में हैं कि किसी तरह क्राउन प्रिंस भारत से लौटते वक्त पाकिस्तान में कुछ देर के लिए रुक जाएं ताकि देश में पाकिस्तानी सरकार की फजीहत होने से बच जाए.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की है कि पाकिस्तान सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस एमबीएस को भारत से वापसी के बाद अपने देश रुकने के लिए कह रहा है. लेकिन पाकिस्तान के पीएम ऑफिस के सूत्रों ने इस संभावना से इनकार नहीं किया कि पाकिस्तान एमबीएस को अपने देश बुलाने की पूरी कोशिश कर रहा है. पीएम ऑफिस के एक सूत्र ने पाकिस्तान के अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ से बात करते हुए कहा, ‘अब तक कुछ भी आधिकारिक नहीं है, लेकिन ऐसे संकेत हैं कि सऊदी क्राउन प्रिंस अपनी भारत यात्रा के दौरान पाकिस्तान की यात्रा कर सकते हैं.’
सऊदी अरब और पाकिस्तान दोनों ही पक्ष इस संबंध में किसी टिप्पणी से बच रहे हैं लेकिन पाकिस्तानी सूत्र का कहना है कि ऐसी संभावना है कि दोनों पक्ष अंतिम समय तक क्राउन प्रिंस के पाकिस्तान दौरे को गुप्त रखना चाहेंगे. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि अगर एमबीएस पाकिस्तान आते भी हैं तो उनका दौरा महज कुछ घंटों का ही होगा. क्राउन प्रिंस जी-20 के बाद एक दिन के स्टेट विजीट को लेकर भारत में रुकेंगे, यह पाकिस्तान के लिए बड़ा सिरदर्द है. सूत्रों ने कहा कि ऐसे में पाकिस्तान के लिए यह और भी महत्वपूर्ण हो गया है कि एमबीएस पाकिस्तान का दौरा करें.
एक तरफ जहां भारत निरंतर प्रगति कर रहा है और अब जी-20 शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी की तरफ बढ़ रहा है, पाकिस्तान हर तरफ से संकटों से घिरा हुआ है. लोग महंगाई, बेरोजगारी से तो परेशान हैं हीं, राजनीतिक संकट ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. पाकिस्तान की हालत ऐसी हो गई है कि कुछ समय पहले वो डिफॉल्ट होते-होते बचा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बेलआउट पैकेज के भरोसे चल रहा देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को अलग-थलग महसूस कर रहा है.
भारत-पाकिस्तान विवाद में जहां अमेरिका समेत विश्व की बड़ी शक्तियां अपनी रुचि दिखाती थीं, अब उन्होंने इस विवाद को किनारे रख भारत के साथ अपने रिश्तों को बढ़ाने पर जोर दिया है. लेकिन सऊदी अरब की तरह खाड़ी के कुछ मुस्लिम देश अब भी इस मुद्दे पर तटस्थ हैं जिसे लेकर पाकिस्तान को डर है कि कहीं ये देश भी भारत के साथ न हो जाएं. पाकिस्तान पर दबाव है कि वो सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को भारत से वापसी के दौरान किसी तरह अपने देश बुला ले. इससे पहले जब फरवरी 2019 में एमबीएस भारत आए थे तब उन्होंने लौटते वक्त पाकिस्तान की यात्रा की थी. अगर इस बार पाकिस्तान उन्हें भारत से वापसी के वक्त अपने देश बुलाने में सफल नहीं हो पाता तो वहां की सरकार को लोगों के गुस्से का शिकार होना पड़ सकता है.
पाकिस्तान इसलिए भी सऊदी क्राउन प्रिंस को किसी तरह अपने देश बुलाना चाह रहा है क्योंकि सऊदी अरब ने अब तक आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान की काफी मदद की है और आगे भी पाकिस्तान को मदद की उम्मीद है. पाकिस्तान ने विदेशी निवेश, खासकर खाड़ी देशों से निवेश आकर्षित करने के लिए स्पेशल इन्वेस्टमेंट फेसिलिटेशन काउंसिल (SIFC) की स्थापना की है. सूत्रों का कहना है कि अगर एमबीएस पाकिस्तान की यात्रा करते हैं तो पाकिस्तान को SIFC के उद्देश्यों को पूरा करने में मदद मिल सकती है.
वहीं, बीते गुरुवार को पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने कहा था कि एमबीएस के पाकिस्तान दौरे के संबंध में किसी भी पक्ष की तरफ से कोई घोषणा नहीं की गई है. सऊदी क्राउन प्रिंस ने पिछले साल नवंबर में अपनी पाकिस्तान यात्रा स्थगित कर दी थी. सऊदी के वास्तविक शासक 21 नवंबर को पाकिस्तान जाने वाले थे. उनकी यह यात्रा चार सालों में पहली पाकिस्तान यात्रा थी. पाकिस्तान को उम्मीद थी कि इससे उसे कुछ आर्थिक मदद मिल जाएगी लेकिन एमबीएस की तरफ से दौरे को बिना कोई कारण बताए रद्द कर दिया था. सूत्रों ने बताया था कि एमबीएस ने पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए अपनी यात्रा को रद्द कर दिया था. अधिकारियों ने कहा था कि इसका जिम्मेदार पाकिस्तान ही है क्योंकि उसने एमबीएस के लिए ठीक ढंग से तैयारियां नहीं की थीं.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved