मॉस्को. सच्चा दोस्त वही है जो भरोसेमंद और वफादार हो. जो सिर्फ अच्छाई ही न बताए बल्कि आपकी बुराइयों की तरफ भी इशारा करे. प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) ने भी यही किया. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) को एक बार फिर याद दिलाया कि युद्ध के मैदान से शांति का रास्ता नहीं निकलता. बड़ी बात ये है कि पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी की इस सलाह का सम्मान किया और यूक्रेन संकट (ukraine crisis) के हल को लेकर भारत (India) की कोशिशों की सराहना की.
मोदी और पुतिन की इस शिखर वार्ता को सारी दुनिया टकटकी लगाकर देख रही है. खासकर रूस विरोधी नाटो देश. जो अमेरिका में बैठक के लिए इकट्ठा हैं. सारी दुनिया ये देखना चाहती थी कि तीसरी बार जीत के बाद नरेंद्र मोदी यूक्रेन पर राष्ट्रपति पुतिन को क्या संदेश देते हैं? युद्ध को रोकने के लिए प्रधानमंत्री मोदी शांति का वो कौन सा सूत्र पेश करते हैं. जिसे पुतिन के सामने रखने की हिम्मत सिर्फ और सिर्फ भारत के प्रधानमंत्री के पास है.
ऐसे में ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे. जिन्होंने रूस के राष्ट्रपति से दो टूक कहने की हिम्मत दिखाई कि ये युग युद्ध का नहीं है. तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद रूस पहुंचे मोदी ने अपनी इसी बात को आगे बढ़ाते हुए पुतिन से दो टूक कहा कि मैं ये भी जानता हूं कि युद्ध के मैदान में समाधान संभव नहीं होते. बम, बंदूक और गोलियों के बीच शांति वार्ताएं सफल नहीं होती हैं और हमें वार्ता के माध्यम से शांति के रास्ते अपनाने होंगे.
इसके जवाब में पुतिन ने कहा- आप यूक्रेन संकट का जो हर निकालने की कोशिश कर रहे हैं हम उसके लिए आपके आभारी हैं. पीएम मोदी ने पुतिन से कहा कि शांति की बहाली में भारत हर संभव सहयोग करने को तैयार है. आपका भी विचार सुनकर खुशी हुई. आपको भी आश्वस्त करता हूं कि भारत शांति के पक्ष में है. शांति के लिए मेरे मित्र पुतिन की बातों को सुनकर मेरे मन में आशा पैदा हुई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन से ये बातें ऐसे वक्त में कहीं जब यूक्रेन पर रूस की तरफ से पिछले कुछ समय का सबसे बड़ा हमला हुआ है. यूक्रेन के अलग-अलग शहरों में रूस ने 40 मिसाइलें दागीं, जिसकी चपेट में एक बच्चों का अस्तपाल भी आ गया. सारी दुनिया में इस हमले के लिए रूस की आलोचना हो रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने इसे लेकर भारत की बात पुतिन के सामने रखी.
पीएम मोदी को मिला रूस का सर्वोच्च सम्मान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान से नवाजा. पुतिन ने पीएम मोदी को ‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल’ से नवाजा, जो कि रूस का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है. इस सम्मान से नवाजे जाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये भारत के 140 करोड़ लोगों का सम्मान है.
रूस रवाना होने से पहले ही ये माना जा रहा था कि प्रधानमंत्री मोदी यूक्रेन युद्ध पर अपनी बात रखेंगे. भारत ने इस मुलाकात से पहले ही साफ कर दिया था कि यूक्रेन युद्ध का हल युदध के मैदान पर नहीं निकल सकता. इसी लाइन पर प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन से अपनी बातें कही. पुतिन ने जिस सहजता से भारत की चिंता को गंभीरता से लिया उसने ये बता दिया कि दोनों देशों की दोस्ती में कितनी गहराई है.
2 घंटे तक चली शिखर वार्ता
प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन के बीच शिखर वार्ता 2 घंटे तक चली. इस बैठक में दोनों नेताओं ने 2030 तक 100 बिलियन डॉलर के कारोबार का लक्ष्य रखा. इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने रूस की सेना में भर्ती भारतीयों का भी मुद्दा उठाया. जिस पर रूस की तरफ से जल्द से जल्द कार्रवाई का भरोसा दिया गया.
विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा, ‘रूस की सेना में भर्ती भारतीयों की सही-सही संख्या के बारे में जानकारी नहीं है. हमें लगता है कि ऐसे लोगों की संख्या 35 से 50 थी जिसमें से 10 देश लौट चुके हैं. प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया. जिसके बाद उम्मीद है कि ऐसा जल्द ही होगा.’
एक तरफ भारत और रूस के रिश्ते मजबूत हो रहे हैं. तो वहीं दूसरी तरफ ये सब देखकर अमेरिका परेशान है. मोदी और पुतिन की मुलाकात से पहले अमेरिका की तरफ से यूक्रेन को केंद्र में रखते हुए बयान दिया गया. लेकिन पीएम मोदी ने आज दिखा दिया कि भारत रूस से अपनी दोस्ती नहीं छोड़ेगा.
भारत-रूस की दोस्ती से दुनिया को मिला ये लाभ
यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही भारत पर रूस से करीबी सीमित करने का दबाव था. लेकिन भारत ने पहले दिन से इससे इनकार कर दिया और रूस से सस्ता तेल खरीदकर अमेरिकी दबाव के आगे झुकने से इनकार कर दिया. भारत के इस कदम की काफी आलोचना भी हुई. लेकिन आज माना जाता है कि भारत के इस कदम ने दुनिया को गहरी मंदी में जाने से रोक लिया.
इन विषयों पर रहा फोकस-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस दो दिवसीय हाई-प्रोफाइल मॉस्को यात्रा के दौरान व्यापार, जलवायु और अनुसंधान सहित कई क्षेत्रों में नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
1. भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार से संबंधित गैर-टैरिफ व्यापार बाधाओं को खत्म करने की उम्मीद जताई गई. संतुलित द्विपक्षीय व्यापार (Bilateral Trade) को जारी रखने के लिए भारत से माल की आपूर्ति में बढ़ोतरी सहित, 2030 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा के आपसी व्यापार की उपलब्धि हासिल करना भी दोनों देशों का लक्ष्य है.
2. राष्ट्रीय मुद्राओं का इस्तेमाल करके द्विपक्षीय निपटान प्रणाली (Bilateral Settlement System) का विकास करना और आपसी निपटान में डिजिटल वित्तीय उपकरणों को बढ़ोतरी देने पर भी इस वार्ता का मुख्य मुद्दा रहा.
3. उत्तर-दक्षिण अंतर्राष्ट्रीय परिवहन गलियारे (North-South International Transport Corridor), उत्तरी समुद्री मार्ग और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक समुद्री लाइन के नए मार्गों की शुरुआत के जरिए भारत के साथ कार्गो कारोबार में बढ़ोतरी पर भी दो देशों में सहमति बनी है.
4. कृषि उत्पादों, खाद्य और उर्वरकों में द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा में बढ़ोतरी, पशु चिकित्सा, स्वच्छता और पादप स्वच्छता प्रतिबंधों (Phytosanitary Restrictions) और निषेधों को हटाने के उद्देश्य से एक गहन संवाद का रखरखाव जारी रखना भी इस वार्ता का मुख्य उद्देश्य रहा.
5. परमाणु ऊर्जा, तेल शोधन और पेट्रोकेमिकल सहित प्रमुख ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग का विकास और ऊर्जा बुनियादी ढांचे, टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सहयोग और साझेदारी के विस्तारित रूप को बढ़ावा देना पर सहमति बनी.
6. बुनियादी ढांचे के विकास, परिवहन इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल उत्पादन और जहाज निर्माण, अंतरिक्ष और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में बातचीत को मजबूत करना. सहायक कंपनियों और औद्योगिक समूहों का निर्माण करके भारतीय और रूसी कंपनियों को एक-दूसरे के बाजारों में प्रवेश की सुविधा प्रदान करने पर सहमति बनी.
7. डिजिटल अर्थव्यवस्था, विज्ञान और अनुसंधान, शैक्षिक आदान-प्रदान और उच्च तकनीक कंपनियों के कर्मचारियों के लिए इंटर्नशिप के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश और संयुक्त परियोजनाओं को बढ़ावा देना. अनुकूल राजकोषीय व्यवस्थाएं प्रदान करके नई सहायक कंपनियों के निर्माण की सुविधा देने पर दोनों देशों के बीच सहमति बनी.
8. दवाओं और उन्नत चिकित्सा उपकरणों के विकास और आपूर्ति में व्यवस्थित सहयोग को बढ़ावा देने, रूस में भारतीय चिकित्सा संस्थानों की शाखाएं खोलने और योग्य चिकित्सा कर्मियों की भर्ती के साथ-साथ चिकित्सा और जैविक सुरक्षा के क्षेत्र में समन्वय को मजबूत करने की संभावना का अध्ययन करने पर सहमति बनी.
9. मानवीय सहयोग का विकास, शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, संस्कृति, पर्यटन, खेल, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य क्षेत्रों में बातचीत का लगातार विस्तार करने भी दोनों देशों के बीच बात बनी.
बातचीत में उठा आतंकवाद का मुद्दा
पीएम ने पुतिन से वार्ता के दौरान आतंकवाद का मुद्दा उठाया है. पीएम ने कहा कि आतंकवाद हर देश के लिए खतरा बना हुआ है. साथ ही पीएम ने अपनी बातचीत के दौरान कोरोना काल के वक्त हुई भारत-रूस की पेट्रोल-डीजल डील की भी सराहना की है. साथ ही व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी को कजान में ब्रिक्स सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया है. ये शिखर सम्मेलन 22 से 24 अक्टूबर को रूस में आयोजित किया जाएगा.
भारत ने किया सफल G20 का आयोजन
नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन पर बोलते हुए कहा कि यूक्रेन पर सम्मानजनक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया गया. भारत ने सफलतापूर्वक जी 20 का आयोजन किया. सभी लोग विश्व में शांति चाहते हैं. मानवता शांति चाहती है. छोटे बच्चों को मारा जाना हृदय विदारक है, यह डरावना है. हमने विस्तार से बात की, जब निर्दोष लोग मरते हैं तो मानवता लहूलुहान हो जाती है. हमें दिल में दर्द महसूस होता है. भावी पीढ़ी के लिए शांति जरूरी है.
पीएम ने कहा कि संघर्ष से मानव के लिए संकल्प भारत-रूस मित्रता के करण में अपने किसानों के लिए फूड, फ्यूल और उर्वरक प्राप्त करने में सक्षम था. ये सब हमारी दोस्ती की भूमिका के कारण हुआ. हमारे किसानों के प्रति प्रतिबद्धता, रूस भारत सहयोग और बढ़े, आम आदमी को भोजन और ईंधन की मदद मिले. ऐसे समय अपने के सहयोग के चलते पेट्रोल-डीजल की महंगाई से बचाया. दुनियाभर को ये समझना होगा कि भारत-रूस का पेट्रोल-डीजल पर सहयोग सराहनीय है. हमारे इस कारोबार के कारण भारत के लोगों को पेट्रोल डीजल की मार से बचा पाए इसके लिए मैं रूस का धन्यवाद करता हूं.
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