रांची । झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Jharkhand Chief Minister Hemant Soren) ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) केंद्रीय कोल कंपनियों पर बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये (Outstanding amount of Rs. 1.36 lakh crore from Central Coal Companies) दिलाएं (Should Clear) । मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्रीय कोल कंपनियों पर झारखंड के 1.36 लाख करोड़ की बकाया राशि का भुगतान कराने की मांग की है।
उन्होंने पत्र की प्रति सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा है, “झारखंडियों का हक मांगो तो जेल डाल देते हैं, पर अपने हक के लिए हर कुर्बानी मंजूर है। हम भाजपा के सहयोगी राज्यों की तरह स्पेशल स्टेटस नहीं मांग रहे, ना ही हम कुछ राज्यों की तरह केंद्रीय बजट का बड़ा हिस्सा मांग रहे हैं। हमें बस हमारा हक दे दीजिए, यही हमारी मांग है। हमारी मांग सिर्फ न्याय की है, विशेषाधिकार की नहीं।”
सोरेन ने कहा है कि झारखंड के लोगों ने अपने राज्य के लिए लंबा संघर्ष किया है और अब हम चाहते हैं कि हमारे संसाधनों एवं अधिकारों का उचित उपयोग हो। प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में उन्होंने लिखा है कि झारखंड राज्य का सामाजिक-आर्थिक विकास मुख्य रूप से खनन और खनिजों से होने वाले राजस्व पर निर्भर करता है, जिसमें से 80 प्रतिशत कोयला खनन से आता है। झारखंड में काम करने वाली कोयला कंपनियों पर मार्च 2022 तक राज्य सरकार का लगभग 1,36,042 करोड़ रुपये का बकाया है।
मुख्यमंत्री ने हाल में खनन एवं रायल्टी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों की बेंच की ओर से सुनाए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा है कि कानून और अदालती फैसलों के बावजूद, कोयला कंपनियां भुगतान नहीं कर रही हैं। इस मुद्दे को पीएमओ, वित्त मंत्रालय, नीति आयोग के पास भी उठाया गया है। झारखंड देश का सबसे धनी खनिज राज्य होकर भी कोयला कंपनियों से मामूली राशि पा रहा है, जबकि इसके बदले वे खनिजों का दोहन कर भारी मुनाफा कमा रही हैं।
सोरेन ने पत्र में बताया है कि जब झारखंड की बिजली कंपनियों ने केंद्रीय उपक्रम डीवीसी (दामोदर वैली कॉरपोरेशन) के बकाया भुगतान में थोड़ी देर की, तो हमसे 12 प्रतिशत ब्याज लिया गया और हमारे खाते से सीधे भारतीय रिजर्व बैंक से डेबिट कर लिया गया। उन्होंने कहा कि अगर हम कोयला कंपनियों पर बकाया राशि पर साधारण ब्याज 4.5 प्रतिशत के हिसाब से जोड़ें, तो राज्य को प्रति माह केवल ब्याज के रूप में 510 करोड़ रुपये मिलने चाहिए।
सीएम ने कहा है कि इस बकाया का भुगतान न होने से झारखंड राज्य को अपूरणीय क्षति हो रही है। शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, स्वच्छ पेयजल और अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी जैसी विभिन्न सामाजिक योजनाएं फंड की कमी के कारण जमीन पर उतारने में दिक्कत आ रही है। सीएम ने सोशल मीडिया पर लिखा, “केंद्र सरकार हमारे हक पर, हमारे पैसों पर जल्द फैसला ले एवं झारखंड के विकास में बाधा न बने, बल्कि सहयोगी बने। हम अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे, चाहे इसके लिए कितनी भी कठिनाइयों का सामना करना पड़े। झारखंड की धरती पर जन्मे हर व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह अपने राज्य के हितों की रक्षा करे और हम एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएंगे, लड़ेंगे और अपना हक अपने पुरखों की तरह ले कर रहेंगे।”
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