नई दिल्ली (New Delhi)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)पर प्रेस कॉन्फ्रेंस (press conference)नहीं करने के लिए उनके आलोचक (critic)लगातार सवाल उठाते रहते हैं। उन्होंने खुद इसका जवाब दिया है। पीएम मोदी ने अपने इस फैसले को सही ठहराते (justify the decision)हुए कहा कि मीडिया की प्रकृति बदल गई है और यह अब पहले जैसी तटस्थ नहीं रही है। पत्रकार अपने विचारों और विचारधाराओं को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने कहा, “मैं संसद के प्रति जवाबदेह हूं। आज पत्रकारों की पहचान उनकी अपनी प्राथमिकताओं से होती है। मीडिया अब एक गैर-पक्षपातपूर्ण इकाई नहीं है।”
मीडिया से बातचीत में कहा कि लोग अब आपकी (मीडिया की) मान्यताओं से भी वाकिफ हैं। उन्होंने कहा कि पहले मीडिया फेसलेस हुआ करता था। मीडिया में कौन क्या लिख रहा है, उसकी विचारधारा क्या है, इसकी चिंता पहले किसी को नहीं होती थी। अब स्थिति पहले जैसी नहीं है।
पीएम मोदी ने कहा कि राजनीति में एक नई संस्कृति विकसित हुई है। प्रदर्शन के बारे में चिंतित न होकर यह मीडिया को प्रबंधित करने पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, “मैं उस रास्ते पर चलने में विश्वास नहीं करता। मुझे कड़ी मेहनत करनी है और गरीबों के हर घर तक पहुंचना है। मैं विज्ञान भवन में रिबन काटते हुए भी तस्वीरें खिंचवा सकता हूं। हालांकि मैं एक छोटे प्रोजेक्ट के लिए झारखंड के एक छोटे से जिले में जाता हूं। मैं एक नई कार्य संस्कृति लेकर आया हूं और यह फैसला मीडिया को लेना है कि वह इसका समर्थन करता है या नहीं।”
पीएम मोदी ने उन आरोपों का भी जवाब दिया जिसमें कहा जाता है कि उनके कार्यकाल में चुनाव आयोग की स्वतंत्रता से समझौता किया गया है। उन्होंने कांग्रेस शासन के तहत सीईसी के राजनीति में आने और रिटायरमेंट के बाद मंत्री पद संभालने के उदाहरणों को याद करते हुए पलटवार किया।
पूर्व चुनाव आयुक्त आज भी करते हैं सियासी ट्वीट
पीएम मोदी ने कहा, “मजेदार बात यह है कि चुनाव आयोग से निकले लोग कभी-कभी राज्यपाल बन जाते थे। कभी-कभी वे सांसद बन जाते थे। वे आडवाणी जी के खिलाफ संसदीय चुनाव लड़ने गए। ये उन लोगों का उदाहरण है जिन्होंने पिछली सरकारों के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में कार्य किया। उस युग के चुनाव आयुक्त अभी भी उसी राजनीतिक दर्शन को बढ़ावा देने वाले ट्वीट करते हैं। वे अपनी राय देते हैं और लेख लिखते हैं। इससे केवल यह पता चलता है कि अब चुनाव आयोग पूरी तरह से स्वतंत्र हो गया है।”
संविधान के साथ छेड़छाड़ सबसे पहले नेहरू ने किया
विपक्ष के द्वारा लगातार संविधान बदलने का आरोप लगाए जाने पर पीएम मोदी ने कहा, “इस देश में संविधान के साथ छेड़छाड़ करने वाला पहला व्यक्ति कौन था? ये पंडित नेहरू थे। उनके द्वारा लाए गए संशोधन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने के लिए थे, जो लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ था। उसके बाद उनकी बेटी इंदिरा गांधी ने अदालत के फैसले को पलट दिया और आपातकाल लगा दिया। राजीव गांधी ने शाह बानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया और मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने एक बार केंद्रीय कैबिनेट के फैसले को फाड़ दिया था>” पीएम ने आगे कहा कि एक ही परिवार के चार अलग-अलग सदस्यों ने अलग-अलग समय पर संविधान का अपमान किया है।
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