उज्जैन: प्रयागराज महाकुंभ (Prayagraj Maha Kumbh) में हुई भगदड़ के बाद अब उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) के पंडित और पुरोहितों को सिंहस्थ 2028 की चिंता सताने लगी है. इसी को ध्यान में रखते हुए महाकालेश्वर मंदिर के पुजारियों ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को पत्र लिखकर कर सुझाव भेजे हैं. इसमें सबसे प्रमुख सुझाव अखाड़े को अभी से शिप्रा तट के घाट सौंपे जाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने की बात कही गई है.
महाकालेश्वर मंदिर के पंडित महेश पुजारी के मुताबिक प्रयागराज महाकुंभ में काफी बड़े इंतजाम के बावजूद भगदड़ की वजह से कई श्रद्धालुओं की जान चली गई. 2 साल बाद धार्मिक नगरी उज्जैन में सिंहस्थ का मेला लगने वाला है. पुजारियों ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को चार प्रमुख मांगों के साथ पत्र भेजा गया है.
इसमें सबसे प्रमुख मांग यह की गई है कि त्रिवेणी घाट से रामघाट तक 13 अखाड़ों को अलग-अलग घाटों पर स्नान की व्यवस्था अभी से सुनिश्चित की जाना चाहिए ताकि उस समय भीड़ प्रबंधन काफी अच्छे ढंग से किया जा सके. पुजारी ने पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि चारों शंकराचार्य रामघाट पर शिप्रा तट में स्नान करें, बाकी सभी अखाड़ों के साधु संतों को अलग-अलग घाटों पर स्नान की व्यवस्था की जाए.
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी महेश गुरु ने बताया कि पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि जिस तरीके से साधु संतों द्वारा वैभव का परिचय देते हुए शाही अंदाज में पेशवाई निकाली जाती है उसे पर भी रोक लगाई जाना चाहिए. साधु संत त्याग के प्रतीक होते हैं, ऐसी स्थिति में उन्हें पैदल शिप्रा तक जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए.
पेशवाई में किसी प्रकार का लाव लश्कर नहीं होना चाहिए, जिसकी वजह से श्रद्धालुओं को स्नान में दिक्कत का सामना करना पड़े. पंडित महेश गुरु ने बताया कि 13 अखाड़े के साधु संत अपने साथ यजमान को भी पेशवाई के साथ स्नान करवाने के लिए ले जाते हैं. इस पर भी रोक लगना चाहिए. इस संबंध में भी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का ध्यान आकर्षित किया गया है.
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