नई दिल्ली: अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में होने वाले रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (20 जनवरी) को तमिलनाडु स्थित तिरुचिरापल्ली के श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की. प्रधानमंत्री ने मंदिर के पुजारियों से आशीर्वाद लिया. पूजा पाठ के बाद मंदिर के पीठासीन देवता की ओर से प्रधानमंत्री मोदी को अयोध्या में राम मंदिर ले जाने के लिए एक टोकरी में उपहार स्वरूप कुछ दिया गया.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, इस अवसर पर पीएम मोदी ने शनिवार को तमिल कवि कंबार के रचित 12वीं सदी के महाकाव्य ‘कंबरमायनम’ के छंदों का श्रवण भी किया.
‘अंडाल’ हाथी को खाना खिलाकर लिया आशीर्वाद
श्री रंगनाथस्वामी मंदिर पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी इस यात्रा के दौरान वेष्टि और अंगवस्त्रम में नजर आए जहां उन्होंने पूजा की. पीएम मोदी ने मंदिर परिसर में ‘अंडाल’ नाम के हाथी को खाना खिलाकर उसका आशीर्वाद लिया.
रामायण के बहुत पुराने संस्करणों में से एक महाकाव्य ‘कंबरमायनम’
महाकाव्य ‘कंबरमायनम’ रामायण के बहुत पुराने संस्करणों में से एक है. कहा जाता है कि भारतीय तमिल कवि कंबर ने सबसे पहले श्री रंगनाथस्वामी मंदिर में ही अपनी रामायण को सार्वजनिक तौर पर पेश किया था और लोगों के दिल को जीत लिया था. उसकी याद में मंदिर में एक मंच/मंतप भी है जिसको ‘कंबा रामायण मंतपम’ कहा जाता है.
प्रधानमंत्री मोदी उस जगह पर ही बैठे जहां पर कम्बा ने पहली बार तमिल रामायण (Tamil Ramayana) सुनाकर तमिलनाडु (Tamil Nadu) और श्रीराम (Sri Ram) के बीच गहरे संबंध को मजबूत किया.
श्रीरंगम मंदिर, एक हिंदू मंदिर
दरअसल, श्री रंगनाथर को समर्पित श्रीरंगम मंदिर, एक हिंदू मंदिर है. श्रीरंगम मंदिर भारत का सबसे बड़ा मंदिर परिसर और दुनिया के सबसे महान धार्मिक परिसरों में से एक है. माना जाता है कि तमिलनाडु के इस प्रसिद्ध श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर (Ranganathaswamy Temple) का निर्माण विजयनगर काल (1336-1565) के दौरान किया गया था.
श्रीरंगनाथस्वामी मंदिर भगवान रंगनाथ का आवास है, जो भगवान विष्णु के लेटे हुए मुद्रा का एक स्वरूप है. श्रीरंगम के बाद पीएम मोदी रामेश्वरम जाएंगे और वहां पर श्री अरुलमिगु रामनाथस्वामी मंदिर (Sri Arulmigu Ramanathaswamy Temple) के दर्शन और पूजा अर्चना करेंगे.
प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले पीएम मोदी कर रहे धार्मिक यात्रा
प्रधानमंत्री मोदी बीते कई दिनों से कई मंदिरों की लगातार यात्रा कर वहां पूजा अर्चना कर रहे हैं. वह अलग-अलग भाषाओं (जैसे मराठी, मलयालम और तेलुगु) में हो रहे रामायण पाठ में भी उपस्थिति दर्ज कर रहे हैं.
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