– दाल से हरा धनिया गायब, प्याज भी रुला रही
इंदौर। सब्जियों के आसमान छूते भाव ने मध्यमवर्गीय परिवार के किचन का बजट बिगाड़ दिया है। हरी सब्जियां तीन गुना महंगी हो गई हैं, जिसके कारण दाल से हरा धनिया तक गायब हो चुका है। आलू, प्याज के भी भाव बढ़े हुए हैं। सब्जियों के दाम में 40 से 60 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। व्यापारियों की मानें तो टमाटर को छोडक़र अन्य सब्जियों के भाव में अक्टूबर माह तक कमी आने की कोई उम्मीद भी नहीं है। वर्तमान में चार सदस्यीय परिवार को सब्जी खरीदने में औसतन 100 रुपए प्रतिदिन खर्च करना पड़ रहे हैं।
कोरोना संक्रमण के बाद जब लॉकडाउन हुआ तो सब्जियों के दाम बढ़े थे। प्रशासन ने जब सख्ती की तो सब्जियों के दाम काफी कम हो गए थे। मई व जून तक यही स्थिति रही थी। उस अवधि में आलू 15-20 रुपए किलो तक बिका था। बारिश के सीजन की शुरुआत होते ही सब्जियों के दाम फिर बढऩा शुरू हो गए थे।
– सब्जियां क्यों हुईं महंगी
मानसून समय पर आने से किसानों ने कद्दू व लौकी के बीजों की रुपाई जून व जुलाई के दूसरे सप्ताह में कर दी थी। इसके बाद बारिश नहीं हुई तो कद्दू व लौकी की फसल खराब हो गई। मंडी में आवक कम होने व डिमांड बढऩे से दाम बढ़ गए हैं। सब्जियों में सबसे खास आलू इन दिनों महंगाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ रहा है। लॉकडाउन में 10 से 15 रुपए में मिलने वाला आलू अब 35 से 40 रुपए किलो तक पहुंच चुका है। वर्ष 2014 में थोक में 25 से 27 रुपए किलो तक बिका था और फुटकर में भाव 35 रुपए किलो मिला था। राजधानी में पहली बार आलू 40 के आंकड़े के पार पहुंचा है। प्याज के भाव बढ़ते हैं तो खूब हायतौबा मचती है, लेकिन आलू के आसमान छूते भाव पर किसी की नजर नहीं है। खपत व आवक में अंतर होने की आड़ में बिचौलिए भी खूब फायदा उठा रहे हैं। करोंद मंडी में 20 से 25 रुपए किलो बिकने वाला आलू फुटकर बाजार में पहुंचते ही दोगुने भाव में बिकने लगता है।
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