नई दिल्ली। नेशनल लिस्ट ऑफ इसेंशियल मेडिसिंस (National List of Essential Medicines-NLEM) मतलब आवश्यक दवाओं की सूची (essential medicines list) में आने वाली लगभग 800 दवाइयों की कीमतों में अप्रैल से 10.7 फीसदी का इजाफा होने जा रहा है. थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में तेज बढ़ोतरी की वजह से ऐसा होने जा रहा है।
अब बुखार, संक्रमण, हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, त्वचा रोग और एनीमिया के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी (Increase in drug prices) हो जाएगी. इसमें पैरासिटामोल, फेनोबार्बिटोन, फिनाइटोइन सोडियम, एजिथ्रोमाइसिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन हाइड्रोक्लोराइड और मेट्रोनिडाजोल जैसी दवाएं शामिल हैं।
भारत की आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में आने वाली दवाइयों की सालाना बढ़ोतरी थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर होती है। इन आवश्यक दवाइयों को खुदरा बिक्री के अलावा सरकार के कई स्वास्थ्य कार्यक्रमों और सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में इस्तेमाल किया जाता है। 1 अप्रैल 2022 से दवाओं की कीमतों में इजाफा देखने को मिलने लगेगा।
इससे पहले 7 मार्च को सरकार ने बताया कि पिछले महीने यानी फरवरी में थोक महंगाई दर 13.11 फीसदी पर रही. इस तरह फरवरी, 2022 में लगातार 11वें महीने थोक महंगाई दर दोहरे अंकों में रही. जनवरी में थोक महंगाई दर 12.96 फीसदी और दिसंबर 2021 में 13.56 फीसदी पर रही थी।
जनवरी में थोक महंगाई दर 12.96 फीसदी पर रही थी. उससे पहले दिसंबर, 2021 में यह 13.56 फीसदी पर रही थी. सरकार की ओर से जारी स्टेटमेंट के मुताबिक पिछले साल के समान महीने की तुलना में मिनरल ऑयल, बेसिक मेटल, केमिकल्स और केमिकल प्रोडक्ट्स, क्रूड पेट्रोलियम और नेचुरल गैस, खाने-पीने के सामान की कीमतों में तेजी से मुख्य रूप से महंगाई दर ऊंची रही।
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