नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण ने प्रत्यक्ष-अप्रत्क्ष कई तरह से लोगों की सेहत को प्रभावित किया है। कोरोना के प्रत्यक्ष प्रभावों जैसे फेफड़े-हृदय संबंधी समस्या और मानसिक रोगों के बारे में कई रिपोर्टस में हम सबने खूब पढ़ लिया है, यहां हम कोरोना के अप्रत्क्ष प्रभाव के बारे में बात करने जा रहे हैं। कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन ने लोगों को घरों में बंद रहने पर मजबूर कर दिया। स्कूल की पढ़ाई हो या ऑफिस का काम, कोरोना काल में सबकुछ ऑनलाइन हो गया।
लिहाजा लोगों का स्क्रीन टाइम पहले की तुलना में कहीं ज्यादा बढ़ गया। सरल शब्दों में स्क्रीन टाइम का मतलब किसी व्यक्ति द्वारा लैपटॉप, डेस्कटॉप, स्मार्टफोन और टेलीविजन जैसे स्क्रीन वाले डिवाइस पर बिताया जाने वाला अधिक समय होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम कई प्रकार के गंभीर रोगों का कारण बन सकता है।
हाल ही में हुए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम कई तरह की समस्याओं को जन्म दे रहा है। विशेषकर कम उम्र के बच्चों में यह गंभीर मोटापे की समस्या का कारण बन सकता है। मोटापे को कई गंभीर रोगों जैसे हृदय रोग और डायबिटीज का मुख्य कारक माना जाता है।
बच्चों में बढ़ गया है मोटापे का खतरा
वैज्ञानिकों ने हालिया अध्ययन में बताया है कि 5-10 साल की उम्र के बच्चे, जिनका स्क्रीन टाइम इन दिनों काफी बढ़ गया है, उनमें एक साल बाद वजन बढ़ने की संभावना काफी अधिक देखी जा रही है। अध्ययन में पाया गया कि सभी प्रकार के स्क्रीन पर बिताया गया प्रत्येक अतिरिक्त घंटा उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हो सकता है। ऐसे में माता-पिता को बच्चों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
गंभीर रोगों को जन्म दे सकती है मोटापे की समस्या
जर्नल ‘पीडियाट्रिक ओबेसिटी’ में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्ष में वैज्ञानिकों ने बताया है कि अगर इस बात को गंभीरता से नहीं लिया गया तो मोटापे की यह समस्या बच्चों के लिए भविष्य में गंभीर रोगों का कारण बन सकती है। अध्ययन की शुरुआत में अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त बच्चों का जो आंकड़ा 33.7 प्रतिशत था वह एक साल बाद बढ़कर 35.5 प्रतिशत हो गया है। वयस्कता के शुरुआती आयुवर्ग वाले बच्चों में भी इस तरह की समस्या ज्यादा देखी गई है।
बढ़े हुए स्क्रीन टाइम का मोटापे से क्या संबंध?
सैन फ्रांसिस्को स्थित कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय में बाल रोग के सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य लेखक जेसन नागाटा कहते हैं, ‘बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम स्वाभाविक रूप से शारीरिक गतिविधियों को कम कर देता है। इसके अलावा मोबाइल-टीवी पर कुछ देखते वक्त कुछ खाने की इच्छा होती है, जिससे आप ओवरइटिंग के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में शारीरिक गतिविधियों में पहले से कमी और ऊपर से कुछ न कुछ खाते रहने की आदत मोटापे का कारण बन जाती है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह अध्ययन इस बात पर और अधिक शोध की आवश्यकता पर जोर देता है कि स्क्रीन टाइम युवाओं के भविष्य में कैसे प्रभावित कर सकता है?
माता-पिता विशेष ध्यान दें
प्रोफेसर नागाटा कहते हैं कि यह अध्ययन कोविड-19 महामारी से पहले किया गया था, लेकिन इसके निष्कर्ष महामारी के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक हैं। विशेषकर बच्चों में इस दौरान घर के बाहर खेलकूद और अन्य शारीरिक गतिविधियां काफी कम हो गई हैं, इसके ऊपर से बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम और चिंता का कारक हो सकता है। कोरोना जैसे गंभीर समय में कई सारी गतिविधियों का ऑनलाइन हो जाना कई मामलों में फायदेमंद है लेकिन माता-पिता को इसके अत्यधिक इस्तेमाल के जोखिमों के प्रति भी सचेत रहने की जरूरत है। बच्चों के साथ परिवार के अन्य लोगों के लिए भी स्क्रीन टाइम का मैनेजमेंट बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
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