– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सर्बिया यात्रा सार्थक रही। इससे दोनों देशों के सम्बन्ध सुदृढ़ हुए। आपसी साझेदारी का विकास हुआ। इसके अलावा द्रौपदी मुर्मू ने भारत के विकास और विश्व शांति के लिए उसके प्रयासों का प्रमुखता से उल्लेख किया। उनके इन विचारों की विश्व स्तर पर चर्चा हुई। इस प्रकार राष्ट्रपति की यात्रा द्विपक्षीय सम्बन्ध के साथ ही भारत के व्यापक हितों का संवर्धन करने वाली साबित हुई। सर्बिया की यात्रा करने वाली वह देश की पहली राष्ट्रपति हैं। सर्बिया उस यूगोस्लाविया का ही हिस्सा हुआ करता था, जिसके भारत के मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध थे। भारत और यूगोस्लाविया गुटनिरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक हैं। 1990 में यूगोस्लाविया का विघटन हुआ। उससे कई देश बने। इसमें क्रोएशिया, सर्बिया, मोंटेनेग्रो, मैसेडोनिया, बोस्निया हर्ज़ेगोविना शामिल हैं। भारत के सर्बिया से अच्छे सम्बन्ध रहे हैं।
साल 2017 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और सर्बिया के बीच सूचना, प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में सहयोग को लेकर समझौता ज्ञापन पर हुए हस्ताक्षर को मंजूरी प्रदान की थी। सर्बिया के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर वुसिक के निमंत्रण पर द्रौपदी मुर्मू सर्बिया यात्रा पर गईं थीं। उन्होंने बेलग्रेड में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। भारतीय समुदाय के लोगों से संवाद किया। उन्होंने भारत के एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने और इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले असंख्य अवसरों का उल्लेख किया। भारत-सर्बिया संबंधों को मजबूत करने की दिशा में सकारात्मक योगदान देने का आह्वान किया। द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत तेजी से और अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। देश दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। भारत में नए बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास हो रहा है। देश के 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बन जाएगा। भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। साढ़े तीन हजार अरब अमरीकी डालर के करीब सकल घरेलू उत्पाद के साथ यहह आगे बढ़ रही है।
भारत और सर्बिया के बीच सूचना, प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में सहयोग बढ़ रहा है। दोनों देशों के अन्य सार्वजनिक और निजी संगठनों के बीच सक्रिय सहयोग के आदान प्रदान, संस्थाओं के क्षमता निर्माण के क्षेत्र को बढ़ावा मिल रहा है। सर्बिया के साथ भारत के संबंधों को विशेष रूप से गुटनिरपेक्ष आंदोलन के संदर्भ में परिभाषित किया गया है। सर्बिया के कई खेल प्रशिक्षक भारतीय एथलीटों और खिलाड़ियों को अपना कौशल सुधारने में सहयोग कर रहे हैं।
एलेक्जेंडर वुसिक ने क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रों की संप्रभुता पर सर्बिया के रुख को दोहराया। द्विपक्षीय चर्चाओं के दौरान राष्ट्रपति वुसिक के साथ उनकी सरकार के आठ मंत्री शामिल हुए। इस दौरान फिल्म निर्माण और छायांकन सहित रक्षा और सैन्य-तकनीक सहयोग, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि, औद्योगिक सहयोग, सूचना प्रौद्योगिकी, एआई और सांस्कृतिक सहयोग सहित क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। सर्बिया की प्रधानमंत्री एना ब्रनाबिक की भी द्रौपदी मुर्मू के साथ वार्ता हुई। दोनों ने व्यापार, आर्थिक, पर्यटन और संस्कृति में संभावित सहयोग पर विचार-विमर्श किया। नेशनल असेंबली के अध्यक्ष ने भी संसदीय संवाद के क्रम को चलाने पर विचार-विमर्श किया। जाहिर है कि राष्ट्रपति की सर्बिया यात्रा उपयोगी रही।
इससे पहले भारत के उपराष्ट्रपति ने 2018 में सर्बिया का दौरा किया था और इससे पहले सर्बिया के प्रधानमंत्री 2017 में भारत आए थे। पिछले कई दशकों के दौरान हमारी आर्थिक साझेदारी का विस्तार हुआ है और यह सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि, बुनियादी ढांचे और फार्मास्यूटिकल्स सहित विभिन्न क्षेत्रों तक भी पहुंचा है। हमारे बीच सांस्कृतिक, शैक्षणिक और लोगों से लोगों के बीच मजबूत संबंध हैं। सर्बिया यूरोप का एकमात्र देश है जो भारतीय पासपोर्ट धारकों को 30 दिन तक रहने के लिए वीजा मुक्त प्रवेश की अनुमति देता है। इसने लोगों से लोगों के बीच निकटता बनाने में योगदान दिया है। बड़ी संख्या में भारतीय सर्बिया की यात्रा कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में सर्बियाई लोगों ने व्यापार और सांस्कृतिक उद्देश्यों जैसे योग, आयुर्वेद और स्वास्थ्य लाभ के लिए भारत का दौरा किया है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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