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    राष्ट्रपति चुनावः विपक्ष कर रहा इन चार नामों पर विचार, नड्डा और राजनाथ आम सहमति बनाने में जुटे

  • June 16, 2022

    नई दिल्ली। राष्ट्रपति चुनाव (presidential election) को लेकर 17 विपक्षी दलों के नेताओं (Leaders of 17 opposition parties) ने संयुक्त उम्मीदवार पर आम सहमति (consensus on joint candidate) बनाने के लिए मुलाकात की, तो वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) ने कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge), टीएमसी की ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और सपा के अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) सहित प्रमुख विपक्षी नेताओं से संपर्क किया। भाजपा ने राजनाथ सिंह और पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा को 18 जुलाई को होने वाले चुनाव से पहले राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने के लिए अन्य दलों के साथ परामर्श करने का जिम्मा सौंपा है।


    पवार ने विपक्षी नेताओं से कुछ अन्य नामों पर विचार करने की अपील की
    राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने बुधवार को कहा कि 17 विपक्षी दलों के नेताओं ने भले ही पार्टी प्रमुख शरद पवार से राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार बनने की अपील की है, लेकिन पवार ने एक बार फिर उनका यह प्रस्ताव ठुकरा दिया है और दिल्ली में अगले हफ्ते प्रस्तावित बैठक में उनसे कुछ अन्य नामों पर विचार करने का आग्रह किया है। महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार का हिस्सा राकांपा ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए पवार के नाम की सिफारिश करने के वास्ते 17 विपक्षी दलों का आभार भी जताया।

    कांग्रेस, समावादी पार्टी, राकांपा, द्रमुक, राष्ट्रीय जनता दल और वाम दलों सहित 17 विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने बुधवार को तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा बुधवार को दिल्ली में बुलाई गई बैठक में शिरकत की थी। लगभग दो घंटे तक चली इस बैठक में कई विपक्षी दलों के नेताओं ने शरद पवार से राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार बनने की अपील की थी।

    इन चार नामों पर चर्चा कर रहा विपक्ष?
    मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जो नाम बैठक के दौरान उठे उनमें एनसीपी प्रमुख शरद पवार, महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी, एनके प्रेमचंद्रन और एनसी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला शामिल हैं। शरद पवार के नाम पर ज्यादा चर्चा रही और खुद ममता ने उनका नाम किया था। इसके बाद ज्यादातर पार्टियों ने एक सुर में उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किया। जब शरद पवार नहीं माने, उसके बाद फिर बंगाल की सीएम ने नया नाम उठाया। इस बार महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी को उम्मीदवार बनाने की बात हुई। हालांकि अभी तक किसी के नाम पर मुहर नहीं लगी है।

    राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया आरंभ होने के साथ ही बुधवार को जहां विपक्षी दलों ने अपनी तरफ से चुनाव में संयुक्त उम्मीदवार उतारने के लिए कुछ नामों पर मंथन किया वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से भी इस मुद्दे पर सहमति बनाने के लिए कुछ सहयोगी दलों के साथ ही कुछ प्रमुख विपक्षी नेताओं और कुछ गैर-राजग व गैर-संप्रग दलों के नेताओं से बातचीत की गई।

    नड्डा ने नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला से बात की। इसके अलावा उन्होंने नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी), नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ), ऑल झारखंड स्टूडेंट्य यूनियन (आजसू) और कुछ निर्दलियों से भी बात की। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सिंह ने जनता दल (यूनाईटेड) के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती और वाईएसआर कांग्रेस नेता जगन मोहन रेड्डी से भी फोन पर बात की।

    राजनाथ सिंह ने कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, बीजद और सपा सहित अन्य विपक्षी दलों से अपनी बात के दौरान उम्मीदवार को लेकर उनकी प्राथमिकता जाननी चाही जबकि विपक्षी नेताओं ने सिंह से भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम जानना चाहा।

    इत्तेफाक से खड़गे, बनर्जी, पवार और यादव, ममता बनर्जी द्वारा संयुक्त विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर सहमति बनाने के लिए राजधानी दिल्ली में बुधवार को बुलाई गई बैठक का हिस्सा थे। इस बैठक में कई दलों के नेताओं ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार से संयुक्त विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने एक बार फिर इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

    2017 में सत्ता और विपक्ष के बीच हुआ था विवाद
    वर्ष 2017 में हुए राष्ट्रपति चुनाव के दौरान विपक्षी दलों ने भाजपा पर अंतिम समय में उनसे संपर्क करने का आरोप लगाया था, क्योंकि उसने पहले ही राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में रामनाथ कोविंद के नाम को अंतिम रूप दे दिया था। विपक्ष ने मीरा कुमार को चुनाव मैदान में उतारा था जो कोविंद से हार गई थीं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है। राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होगा। मतगणना 21 जुलाई को होगी।

    राष्ट्रपति के लिए किसके पास कितने मत?
    चुनाव के लिए मतदाताओं की कुल संख्या 4,809 है, जिसमें 776 सांसद और 4,033 विधायक होंगे। राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान संसद और राज्य विधानसभाओं के परिसर में होगा, जबकि राज्यसभा के महासचिव रिटर्निंग ऑफिसर होंगे। आम तौर पर, सांसद संसद में और विधायक अपने-अपने राज्य की विधानसभा में मतदान करते हैं। राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और दिल्ली तथा केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी सहित सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं।

    राज्यसभा और लोकसभा या राज्यों की विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य निर्वाचक मंडल में शामिल होने के पात्र नहीं हैं, इसलिए, वे चुनाव में भाग लेने के हकदार नहीं होते। इसी तरह, विधान परिषदों के सदस्य भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदाता नहीं होते हैं।

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