नई दिल्ली: 18वीं लोकसभा के गठन के साथ ही एक बार फिर सेंगोल चर्चा में है. संयुक्त सत्र को संबोधित करने के लिए संसद के द्वार पर पहुंचते ही राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू का सेंगोल से स्वागत किया गया. नए संसद भवन के उद्घाटन के वक्त इसमें सेंगोल को स्थापित किया गया था. 18वीं लोकसभा के गठन के बाद गुरुवार को राष्ट्रपति जैसे ही संसद भवन के द्वार पर पहुंची तो उनका स्वागत करने के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला मौजूद थे.
राष्ट्रपति के संसद भवन के द्वार पर पहुंचते ही एक व्यक्ति सेंगोल लेकर पहुंचा. फिर वह राष्ट्रपति के आगे-आगे सेंगोल लेकर चलता रहा. उसने राष्ट्रपति को उनके आसन तक पहुंचाया और फिर सेंगोल को उसकी निर्धारित जगह पर स्थापित कर दिया. सेंगोल से राष्ट्रपति का स्वागत करने वाला व्यक्ति लोकसभा सचिवालय का कर्मचारी था.
सेंगोल को राजदंड का प्रतीक माना जाता है. इसे नए संसद भवन के उद्घाटन के वक्त सदन में स्थापित किया गया था. एक दिन पहले ही समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने सदन से सेंगोल हटाने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि यह लोकतंत्र है और इसमें सेंगोल राजतंत्र की निशानी है. उन्होंने सेंगोल हटाकर उस जगह पर संविधान की प्रति रखने की सलाह दी थी.
चौधरी ने कहा था कि भाजपा की पूर्व सरकार ने स्पीकर की कुर्सी के पास सेंगोल स्थापित कर दिया था. उनका कहना है कि सेंगोल का शाब्दिक अर्थ राजदंड यानी राजा का डंडा है. इसलिए इसे हटा देना चाहिए. सेंगोल के बारे में कहा जाता है कि यह तमिल शब्द सेम्मई से आया है. दरअसल, सेंगोल को राष्ट्रपति के स्वागत प्रोटोकॉल में शामिल किया गया है. इससे पहले एक फरवरी को लोकसभा के एक सीनियर मार्शल राजीव शर्मा ने पारंपरिक पोशाक में तैयार होकर सेंगोल थामा था और राष्ट्रपति का स्वागत किया था.
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