नई दिल्ली (New Delhi) । अमृत महोत्सवकाल में मनाए जा रहे गणतंत्र दिवस समारोह (republic day celebration) में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेल अल सिसी (President of Egypt Abdel Fattah El-Sisi) का मुख्य अतिथि (chief guest) होना कई मामलों में महत्वपूर्ण है। हाल के वर्षों में मिस्र भारत का मजबूत कारोबारी साझीदार बनकर तो उभरा ही है, उससे बड़ी बात यह है कि उसने इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) और लीग ऑफ अरब नेशन में कभी भी भारत के विरुद्ध दुष्प्रचार का न समर्थन किया, न ही उस पर कोई प्रतिक्रिया दी। बीते वर्ष के दौरान कश्मीर मामले, नूपुर शर्मा प्रकरण ओआईसी के एजेंडे में रहा, लेकिन मिस्र ने हमेशा उससे दूरी बनाकर भारत से मित्रता का परिचय दिया।
75 साल पुराने हैं मिस्र से राजनयिक संबंध
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, अन्य कई मुस्लिम देशों की तरह मिस्र पाकिस्तान के दुष्प्रचार को भी नकारता रहा है। मिस्र का यह रुख महत्वपूर्ण है। यदि संयुक्त राष्ट्र को छोड़ दिया जाए तो ओआईसी देशों का सबसे बड़ा समूह है। इसमें 57 देश शामिल हैं। यह भी संयोग है कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में मिस्र के राष्ट्रपति पहली बार गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आ रहे हैं, मिस्र से साथ भारत के राजनयिक संबंध भी 75 साल ही पुराने हैं। भारत की अध्यक्षता में हो रही जी-20 बैठक के लिए भी मिस्र को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में न्योता दिया गया है। इसलिए इसी साल सितंबर में फिर उनका भारत आना तय माना जा रहा है।
छह क्षेत्रों में समझौते के आसार
सूत्रों की मानें तो इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच छह क्षेत्रों कृषि, साइबर संस्कृति, सूचना प्रौद्यौगिकी, प्रसारण और युवा क्षेत्रों में द्विपक्षीय समझौते हो सकते हैं। हाल के वर्षों में मिस्र के साथ व्यापार में तेजी से वृद्धि भी हुई है। मिस्र भारत का छठा बड़ा व्यापारिक भागीदार है। पिछले साल भारत और मिस्र के बीच व्यापार में 75 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। मिस्र भारत से रक्षा सामग्री भी आयात करने का इच्छुक है। लड़ाकू विमान तेजस, आकाश मिसाइल समेत अनेक सैन्य प्लेटफॉर्म में मिस्र ने दिचलस्पी दिखाई है। इस दिशा में बातचीत आगे बढ़ी है। एचएएल की मिस्र के अधिकारियों से भी इससे जुड़े मुद्दों पर बातचीत चल रही है।
सूत्रों की मानें तो भारत मिस्र को तकनीक हस्तांतरण के सात ही हथियारों की आपूर्ति पर विचार कर सकता है। मिस्र मौजूदा समय में आर्थिक संकट का भी सामना कर रहा है। भारत ने पूर्व में उसे गेहूं की आपूर्ति भी की थी। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वहां गेहूं की आपूर्ति प्रभावित हुई है। इसलिए मिस्र चाहता है कि भारतीय कंपनियां वहां निवेश बढ़ाएं ताकि देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आए। हालांकि, मिस्र को लेकर भारत की चुनौती यह है कि चीन भी वहां अपना प्रभुत्व जमा रहा है।
मुख्य अतिथि बनने वाले मध्य पूर्व देशों के पांचवें राष्ट्राध्यक्ष
अब्देल फतेल गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बनने वाले मध्य पूर्व देशों के पांचवें राष्ट्राध्यक्ष हैं। इससे पूर्व अल्जीरिया (2001), ईरान (2003), सऊदी अरब (2006) और यूएई (2017) के राष्ट्राध्यक्ष गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में आ चुके हैं।
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