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तीनों नए बिल को राष्ट्रपति मुर्मू ने दी मंजूरी, अब बदल जाएंगे ये कानून

नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने आज सोमवार को भारतीय न्याय संहिता (Indian Judicial Code), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Indian Civil Defense Code) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act) को अपनी मंजूरी दे दी. इन तीनों नए विधेयकों (All three new bills) को संसद के दोनों सदनों (पहले लोकसभा फिर राज्यसभा) ने पिछले हफ्ते ही पास कर दिया था. संसद ने गुरुवार को इन विधेयकों को मंजूरी दी थी, जिनमें औपनिवेशिक काल के आपराधिक कानूनों में कई अहम बदलाव करते हुए आतंकवाद, लिंचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले अपराधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है.

राष्ट्रपति मुर्मू की ओर से संसद से पारित तीनों नए आपराधिक न्याय विधेयकों को स्वीकृति दिए जाने के बाद अब ये कानून पुराने कानूनों की जगह लेंगे. केंद्र सरकार की ओर से संसद में लाए गए तीनों कानून (भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य कानून) अब ब्रिटिश शासनकाल में बनाए गए 3 कानूनों भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (CPRC) 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह लेंगे.


तीनों नए न्याय विधेयकों को लेकर संसद में हुई बहस का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले हफ्ते राज्यसभा में कहा था कि इन विधेयकों का उद्देश्य पुराने कानूनों की तरह सजा देने का नहीं बल्कि न्याय मुहैया कराने का है. इन कानूनों का मकसद अलग-अलग तरह के अपराधों और उनकी सजा को परिभाषा देकर देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव करना था.

नए कानूनों में आतंकवाद की स्पष्ट परिभाषा दी गई है, साथ ही राजद्रोह को अपराध के रूप में खत्म कर दिया गया है और ‘राज्य के खिलाफ अपराध’ नाम से एक नया खंड शामिल किया गया है. हालांकि बहस के दौरान विपक्ष इसमें शामिल नहीं हुआ क्योंकि विपक्ष के कई सदस्य निलंबित कर दिए गए थे जबकि अन्य विपक्षी सांसदों ने विरोधस्वरूप कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया. लोकसभा इसे पहले ही पारित कर दिया था.

संसद में गृह मंत्री शाह ने कहा था कि 3 आपराधिक कानूनों की जगह पर लाए गए इन नए विधेयकों के संसद से पारित होने के बाद देश के आपराधिक न्याय प्रक्रिया में नया बदलाव आएगा और पूर्ण भारतीयता के साथ एक नई शुरुआत होगी. उन्होंने कहा था कि इन नए कानूनों को पढ़ने पर पता चलेगा कि इनमें न्याय के भारतीय दर्शन को शामिल किया गया है. इन कानूनों की आत्मा भारतीय है, सोच भी भारतीय है और यह पूरी तरह से भारतीय है.

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