अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की टीम ने विदेश नीति संबंधी एक बड़े बदलाव का संकेत दिया है। हालांकि ये संकेत लैटिन अमेरिकी देश वेनेजुएला के बारे में है, लेकिन जानकारों का कहना है कि इससे निर्वाचित राष्ट्रपति के विदेश नीति संबंधी पूरे नजरिए का संकेत मिलता है। संकेत यह है कि बाइडन प्रशासन निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टकराव के रुख से हटते हुए बातचीत से मसलों का हल निकालने की कोशिश करेगा। अमेरिकी मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक बाइडन की टीम वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार से बातचीत करने की तैयारी कर रही है।
इन खबरों के मुताबिक बाइडन प्रशासन मादुरो सरकार से बातचीत करने के लिए कोई पूर्व शर्त नहीं लगाएगा। हालांकि बाइडन टीम के सदस्यों ने मीडिया से कहा है कि अगला अमेरिकी प्रशासन वेनेजुएला में “स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों” को बढ़ावा देने की नीति पर चलता रहेगा। खबरों के मुताबिक बाइडन के सलाहकार वेनेजुएला पर ट्रंप प्रशासन की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों की समीक्षा करेंगे। इसके आधार पर तय किया जाएगा कि किस प्रतिबंध को जारी रखा जाए और किसे हटा लिया जाए।
मादुरो पहले ही नए अमेरिकी प्रशासन के साथ बातचीत का आधार तैयार करने की इच्छा जता चुके हैं। लेकिन तब मादुरो ने ध्यान दिलाया था कि पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका में निर्वाचित सभी राष्ट्रपतियों ने वेनेजुएला पर “गैर कानूनी और आपराधिक ढंग से हमले किए हैँ। ट्रंप के शासनकाल में अमेरिका और वेनेजुएला के बीच बढ़ा तनाव वैसे राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका और वेनेजुएला के बीच तनाव काफी बढ़ गया। ट्रंप प्रशासन ने वेनेजुएला पर कई सख्त प्रतिबंध लगा दिए। जनवरी 2019 में वेनेजुएला में जब दक्षिणपंथी नेता हुआन गुआइदो ने तख्ता पलट की कोशिश की तो ट्रंप प्रशासन ने उसका समर्थन किया। इसके बाद वेनेजुएला ने अमेरिका से अपने सारे संबंध तोड़ लिए।
अब आशा की जा रही है कि बाइडन के राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों देशों में रिश्तों को सुधारने की नई पहल होगी। बाइडेन टीम के हवाले से छपी खबर ने ताजा उम्मीद को और बढ़ा दिया है। इस बीच ट्रंप प्रशासन वेनेजुएला पर दबाव बढ़ाने की अपनी पुरानी नीति पर लगातार चल रहा है। उसने अब एक ताजा कदम उठाते हुए उस टेक्नोलॉजी फर्म पर प्रतिबंध लगा दिए हैं, जिसने हाल में वेनेजुएला में हुए संसदीय चुनाव में वोटिंग मशीनें उपलब्ध कराई थीं। ट्रंप प्रशासन ने आरोप लगाया है कि इस कंपनी ने मतदान में धांधली करने की मादुरो सरकार की कोशिशों में मदद की। वेनेजुएला ने इस कदम की कड़ी निंदा की है। ये कंपनी मूल रूप से अर्जेंटीना की है। वेनेजुएला में उसकी शाखा मौजूद है।
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने आरोप लगाया है कि हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर मुहैया कराने वाली इस कंपनी को मादुरो सरकार से लाखों डॉलर का ठेका मिला। इसलिए यह चुनाव में धांधली की उसकी कोशिशों में सहभागी बनी। अमेरिका ने कंपनी के दो बड़े अधिकारियों पर व्यक्तिगत प्रतिबंध लगा दिए हैँ लेकिन आलोचकों ने कहा है कि अमरिका समर्थित नेता गुआइदो खुद ही इस चुनाव में शामिल नहीं हुए। मतदान को अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने स्वतंत्र और निष्पक्ष बताया। ऐसे में अमेरिका का यह कहना बेबुनियाद है कि चुनाव में धांधली की गई। इस घोषणा के बाद मादुरो ने बेहद तीखे शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा- सत्ता से बाहर जा रहे मूर्ख (पोम्पियो) का यह मूर्खतापूर्ण कदम है। ट्रंप प्रशासन का ताजा कदम और ये प्रतिक्रिया दोनों देशों के बीच मौजूद कड़वाहट को जाहिर करते हैं। अब आशा की जा रही है कि बाइडन के कार्यकाल में ये हालत बदलेगी। बाइडन की बातचीत की नीति अगर यहां आगे बढ़ी, तो दुनिया के दूसरे विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का रास्ता भी उससे खुलेगा।
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