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    राष्ट्रपति जो बाइडन ने लाइव टेलीविज़न पर फ़ाइज़र के कोरोना वैक्सीन का पहला इंजेक्शन लगवाया

  • December 22, 2020

    अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन ने लाइव टेलीविज़न पर फ़ाइज़र के कोरोना वैक्सीन का पहला इंजेक्शन लगवाया है.. उन्होंने कहा है कि वो अमेरिका के लोगों को ये बताना चाहते हैं कि ये वैक्सीन उनके लिए “सुरक्षित है”. ऐसा कर बाइडन उन नेताओं में शुमार हो गए हैं जिन्होंने हाल में कोरोना वैक्सीन लगवाया. बाइडन से पहले उप राष्ट्रपति माइक पेंस और हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव्स की स्पीकर नैन्सी पेलोसी भी कोरोना वैक्सीन की एक-एक डोज़ ले चुके हैं. हाल में अमेरिका ने फ़ाइज़र की वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति दी थी. बीते सप्ताह मंज़ूरी मिलने के बाद अब देश में कोरोना की दूसरी वैक्सीन (मॉडर्ना की वैक्सीन) भी लोगों को दी जाएगी.

    बताया जा रहा है कि अमेरिका में अब तक 500,000 से अधिक लोगों को कोरोना वैक्सीन का पहला डोज़ लगाया जा चुका है. डेलावेयर के नेवार्क में कोरोना की वैक्सीन लेने के बाद बाइडन ने लाइव टीवी पर कहा कि “मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध होने पर उन्हें इसके लिए तैयार होना चाहिए. इसके बारे में आपको चिंतित होने की ज़रूरत नहीं है.” उन्होंने कहा कि देश में कोरोना वैक्सीन कार्यक्रम लांच करने के लिए ट्रंप प्रशासन “को श्रेय दिया जाना चाहिए.”

    जो बाइडन ने बताया कि उनकी पत्नी जिल बाइडन ने भी वैक्सीन की अपनी पहली खुराक ले ली है. माना जा रहा है कि नव-निर्वाचित उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस और उनके पति डग एम्हॉफ अगले हफ्ते कोरोना वैक्सीन का पहला डोज़ लेंगे. बाइडन टीम ने व्हाइट हाउस में प्रशासन के पहले 100 दिनों के दौरान अमेरिका में 100 मिलियन यानी 10 करोड़ लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा है.

    बाइडन की टीम ने व्हाइट हाउस में नई सरकार के पदभार संभालने के बाद पहले सौ दिनों में 10 करोड़ लोगों के टीकाकरण का लक्ष्य रखा है. कोरोना महामारी के दौर में अमेरिका में अब तक इस वायरस के संक्रमण के 1.78 करोड़ मामले दर्ज किए गए हैं जबकि अब तक इसके कारण 3.17 लाख लोगों की मौत हो चुकी है.

    अक्टूबर में कोरोनो वायरस संक्रमण के बाद अस्पताल में तीन दिन बिता चुके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब तक ये स्पष्ट नहीं किया है कि वो कब तक कोरोना की वैक्सीन लेंगे. ट्रंप वैक्सीन को ख़तरों को लेकर कई बार भ्रामक जानकारी साझा कर चुके हैं. अब वो उन चंद नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने अब तक कोरोना वैक्सीन का डोज़ नहीं लिया है. 13 दिसंबर को ट्रंप ने ट्वीट कर बताया कि “मैं वैक्सीन लेने के लिए फिलहाल निर्धारित नहीं हूं, लेकिन उचित समय पर मैं इसका डोज़ लेना चाहता हूं.” ट्रंप के वैक्सीन लेने में देरी करने के फ़ैसले का उनके कुछ सलाहकारों ने बचाव किया है, और कहा है कि कोरोना संक्रमण होने के बाद उनका जो इलाज हुआ है उससे वो अभी कुछ वक्त तक सुरक्षित हैं.

    अमेरिका के सेंटर फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने रविवार को नए दिशानिर्देश जारी कर बताया अगले चरण में किस-किस को टीका मिलेगा.

    • प्रथम चरण – पिछले सप्ताह शुरू हुए पहले चरण में वैक्सीन 2.1 करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और 30 लाख ऐसे बुजुर्गों को दी जा रही है जो केयर होम्स में रहते हैं.
    • दूसरा चरण – वैक्सीन पाने की कतार में अगला नंबर फ्रंटलाइन वर्कर्स और 75 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों का है. इस स्तर पर 3 करोड़ ऐसे कार्यकर्ता शामिल हैं जो “कामकाज चालू रखने से जुड़े आवश्यक क्षेत्रों में काम करते हैं और जिन्हें संक्रमण का अधिक ख़तरा हो सकता है.” इसमें आम लोगों के साथ संपर्क रखने वाले, सुधार कर्मी, यूएस पोस्टल विभाग के कर्मचारी, शिक्षा और सार्वजनिक परिवहन में काम कर रहे कर्मचारी, राशन की दुकानों, उत्पादन क्षेत्र में काम करने वाले, खाद्य और कृषि क्षेत्र में काम करने वाले लोग शामिल हैं. दूसरा चरण जनवरी में शुरू होने की उम्मीद है.
    • तीसरा चरण – इसमें 65 साल और उससे अधिक उम्र के व्यक्ति, स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे ऐसे लोग शामिल हैं जिनके लिए कोरोना संक्रमण ख़तरनाक़ साबित हो सकता है. साथ ही इस लिस्ट में ग़ैर-ज़रूरी फ्रंटलाइन वर्कर्स भी शामिल हैं. एक अनुमान के अनुसार इस श्रेणी में 12.9 करोड़ लोग शामिल होंगे.

    उन्होंने कहा है कि उन्होंने डोज़ेज़ की जो संख्या दी थी वो अपने इस विश्वास पर दी थी कि इतनी डोज़ेज़ तो तैयार हो जाएंगी. लेकिन अब जब राज्यों को अपेक्षित डोज़ेज़ नहीं मिली हैं तो इसके लिए सीधे तौर पर सिर्फ़ उनकी ग़लती है. अमेरिका में एक से अधिक राज्य ने अपेक्षित वैक्सीन की संख्या में कटौती पर नाराज़गी ज़ाहिर की है. ‘ऑपरेशन वॉर्प स्पीड’ के प्रमुख जनरल गुस्तावे पेर्ना शुक्रवार को स्टैनफ़ोर्ड मेडिकल सेंटर के 100 से अधिक डॉक्टरों ने विश्वविद्यालय की वैक्सीन वितरण योजना का विरोध किया. डॉक्टरों का कहना है कि यहां वैक्सीन की 5,000 डोज़ आई हैं लेकिन इसके लिए 1,300 रेज़िडेंट ग्रेजुएट्स में से केवल सात को ही चुन गया है.

    प्रदर्शनकारियों के अनुसार, अस्पताल प्रबंधन ने कोविड-19 रोगियों के साथ सीधे तौर पर काम करने वाले डॉक्टरों की बजाय वैक्सीन के लिए उन्हें प्राथमिकता दी जो घरों से काम कर रहे हैं. बाद में स्टैनफोर्ड के अधिकारियों ने माफी मांगी और कहा कि विश्वविद्यालय “उनकी योजना की खामियों को दूर करने की कोशिश कर रहा था.”

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