रामेश्वर धाकड़
भोपाल। मप्र सरकार के मंत्रालय वल्लभ भवन के आधारतल पर बड़ी तोडफ़ोड़ की तैयारी हो चुकी है। सामान्य प्रशासन विभाग ने एक्सपर्ट रिपोर्ट के बिना 60 साल पुराने वल्लभ भवन के आधारतल पर दशकों से मुफ्त में कारोबार कर रही भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) शाखा को विस्तार की अनुमति दे दी है। इसके लिए बीएसएनएल से दफ्तर खाली कराया जाएगा। इस बीच मंत्रालय कर्मचारी संघ बैंक के खिलाफ लामबंद हो गया है। कर्मचारियों ने मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव जीएडी और अपर मुख्य सचिव वित्त को ज्ञापन सौंपा है। जिसमें बैंक प्रबंधक से लेकर बैकिंग व्यवस्था और जीएडी की कथित संदिग्ध भूमिका पर सवाल उठाते हैं।
कर्मचारियों ने हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन में कहा है कि मंत्रालय में बैंक सिर्फ कारोबार कर रही है। कर्मचारियों को कोईसुविधा नहीं है। यहां तक कि वेतन निकालने के लिए भी चक्कर काटने पड़ते हैं। बैक प्रबंधक मिलते नहीं हैं। पेंशनर परेशान होते हैं। कर्मचारियों को लोन देने में आनाकानी होती है। बैंक प्रणाली से परेशान कर्मचारियों ने मांग की है कि हमारे पैसे पर मुनाफा कमा रही बैंक से शाखा शुरू होने के समय से किराया, जलकर, बिजली, पार्किंग, सफाई, सुरक्षा शुल्क वसूला जाए। इस राशि को मंत्रालय एवं कर्मचारियों पर खर्च किया जाए। साथ ही दूसरी राष्ट्रीयकृत शाखा खोलने की मंजूरी दी जाए। इस मामले में बैंक प्रबंधन ने बोलने से इंकार किया है, लेकिन एसबीआई के वरिष्ठ अफसर ने बताया कि बैंक का प्रबंधक ही हर बात के लिए जिम्मेदार होता है।
अनुबंध पत्र गायब, अफसर मौन
कर्मचारियों का आरोप है कि शासन और बैंक के बीच जो अनुबंध हुआ था, वह अब गायब है। इस मामले में मंत्रालय की अधीक्षक एवं उपसचिव माधवी नागेन्द्र ने चुप्पी साध ली है। माधवी ने ही बीएसएनएल से दफ्तर खाली कराकर बैंक को
देने का आदेश दिए हैं।
मैं बैंक के पीआर सेक्शन में रहा हूं। आप तो मुझे जानते ही होंगे। वैसे मैं इसके लिए अधिकृत नहीं हूं। आप यह भी समझते होंगे। सॉरी।
अंकित गुप्ता, प्रबंधक, वल्लभ शाखा भोपाल
पूर्व में शिकायत की थी, तब बैंक ने सुधार किया था। बैंक के व्यवहार से कर्मचारियों ने आक्रोश है। बैंक से किराया ले सरकार। बिल्डिंग पुरानी है बेसमेंट में किसी भी कार्य की अनुमति देना खतरनाक हो सकती है।
सुभाष वर्मा, अध्यक्ष, मंत्रालय कर्मचारी संघ
बैंक 20 साल से कर्मचारी हित में काम नहीं कर रही है। कोई सुविधा नहीं है। कर्ज भी नहीं देती है। जब कोई दूसरी बैंक किराया देकर आने को तैयार तो उसे लाएं। एसबीआई से किराया लें या फिर बाहर करें।
शिवपाल सिंह, सदस्य राज्य कर्मचारी कल्याण समिति
मेरे पास अभी यह मामला नहीं आया है। ऊपर लेवर पर शिकायत हुुई होगी। मेरे पास आएगा तो कार्रवाई करेंगे।
श्रीनिवास शर्मा, सचिव,जीएडी
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