उज्जैन। पिछले एक दशक में शहर की आबादी तेजी से बढ़ी है। बावजूद इसके लोगों को शहरी क्षेत्र में भारी वाहनों की आवाजाही से छुटकारा नहीं मिल पाया है। सालों पहले इसके लिए शहर के बाहर ट्रांसपोर्ट नगर स्थापित करने के दावे होते रहे हैं लेकिन ट्रांसपोर्टरों को अभी तक यह सौगात नहीं मिल पाई है। पिछले एक दशक में कई बार शहर के ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों को स्थायी स्थान उपलब्ध कराने की आवश्यकता के साथ-साथ संगठन द्वारा मांग की जाती रही है। वैसे तो पिछले दो दशक से ट्रांसपोर्ट व्यवसायी स्थायी स्थान नहीं मिलने के कारण परेशानी झेल रहे हैं। इसका असर शहर की यातायात व्यवस्था पर पड़ रहा है। सिंहस्थ 1992 के दौरान ट्रांसपोर्ट व्यवसायी इंदौरगेट क्षेत्र में अपने वाहन खड़े करते थे तथा यहीं ऑटो पार्ट्स से जुड़े व्यवसायी भी काम करते थे।
स्थायी जगह नहीं होने से अभी कई समस्याएँ..बाद में यह होंगे फायदे
शहर में स्थायी रूप से ट्रांसपोर्ट नगर नहीं होने के कारण अभी ट्रांसपोर्टरों को अपने वाहन हरिफाटक ओव्हरब्रिज के नीचे, दूध तलाई, मोहननगर, आगर रोड एमआर-5 मार्ग व अन्य स्थानों पर खड़े करने पड़ रहे हैं। इससे इन क्षेत्रों में आवागमन भी प्रभावित हो रहा है। अगर शहर में स्थायी रूप से ट्रांसपोर्टरों को ट्रांसपोर्ट नगर की व्यह्यह्यवस्था हो जाती है तो यह सारे भारी वाहन एक ही स्थान पर खड़े हो सकेंगे तथा वहीं से इनका संचालन हो पाएगा और शहर को भी भारी वाहनों की आवाजाही से मुक्ति मिलेगी।
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