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झाबुआ की मक्का और चने की फसल को ग्लोबल मार्केट में उतारने की तैयारी

December 20, 2022

  • कृषि विज्ञान केंद्र जनवरी से लांङ्क्षचग की कर रहा तैयारी
  • भोपाल और इंदौर में खोले जाएंगे आउटलेट
  • ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर किसान उत्पादक के नाम से मिलेंगे प्रोडक्ट

भोपाल। पश्चिमी मप्र के आदिवासी अंचल झाबुआ की महिलाएं आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। उनके द्वारा पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से उगाई मक्का और चने की फसल को ग्लोबल मार्केट में उतारने की तैयारी की जा रही है। उनके ब्रांड का नाम होगा ‘झाबुआ किसान उत्पादकÓ। इस नाम से झाबुआ के प्रोडक्ट ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके लिए नए साल जनवरी-2023 में कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से जिला प्रशासन के साथ मिलकर झाबुआ महोत्सव में इस प्रोडक्ट की भव्य लांङ्क्षचग की तैयारी की जा रही है।
दरअसल, झाबुआ में किसान पारंपरिक रूप से मक्का की दो किस्म के साथ 13 तरह के चने की फसल और मूंग व तुअर दाल की फसल लेते हैं। खास बात ये हैं कि इनके उत्पादन के लिए अधिकाश किसान रासायनिक खाद का उपयोग नहीं करते। इन्हें प्राकृतिक रूप से उगाया जाता है।
चूंकि बीते कुछ सालों में बड़े शहरों में इस तरह के प्राकृतिक उत्पाद का चलन बढ़ा है और इनकी कीमत भी आम उत्पाद की तुलना में कुछ अधिक होती है। लिहाजा कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा जैव विविधता परियोजना के तहत महिला किसानों द्वारा पारंपरिक फसल का उत्पादन करवाने के साथ उनकी मार्केटिंग करने की पूरी योजना बनाई है। जो अब मूर्त रूप ले चुकी है।



इस तरह योजना को दिया मूर्त रूप
कृषि विज्ञान केन्द्र ने जैव विविधता परियोजना के तहत पारंपरिक फसल उत्पादन का निर्णय लिया है। इसके लिए ग्राम सजेली मालजी सात में आशा जैव विविधता समूह का गठन किया। इस समूह से 24 महिलाएं जुड़ी हैं। महिलाओं ने न केवल पारंपरिक फसल का उत्पादन शुरू किया, बल्कि एक सीड बैंक भी तैयार कर लिया। उत्पादन के बाद इसकी मार्केटिंग भी जरूरी थी। क्योंकि उसके बिना आगे नहीं बढ़ा जा सकता था। लिहाजा झाबुआ किसान उत्पादक कम्पनी लिमिटेड का गठन किया। इस कंपनी से 310 महिलाएं जुड़ी है। अब यह कम्पनी उत्पाद की इंटरनेशनल पैकेजिंग के साथ साथ मार्केटिंग भी कर रही है। कंपनी को फिलहाल 35 टन तुअर दाल का ऑर्डर मिला है। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने बकायदा एक दाल मिल भी स्थापित कर दी है। ताकि पर्याप्त मात्रा में उत्पादन कर समय पर सप्लाय किया जा सके।

इन पारंपरिक फसलों का किया जा रहा उत्पादन
आशा जैव विविधता समूह द्वारा जिन पारंपरिक फसलों का उत्पादन किया जा रहा है। इनमें लाल तुअर दाल, दूध मोगर मक्का, साठी मक्का, तेलिया उड़द, भूरा उडद के साथ मशरूम भी शामिल है। अधिकारियों का कहना है कि झाबुआ की महिलाओं ने आत्म निर्भर भारत का निर्माण करने की दिशा में अहम कदम बढ़ाया है। जनवरी में झाबुआ महोत्सव के दौरान प्रोडक्ट की लांचिंग होगी।

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