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महंगाई से राहत देने की तैयारी, अनाज की कीमतों को लेकर सरकार उठा सकती है यह बड़ा कदम!

October 19, 2022

नई दिल्‍ली। खाद्य वस्तुओं (food items) की महंगाई (Dearness) को कम करने के लिए सरकार एक बड़ा कदम उठा सकती है. अनाजों की महंगाई (food inflation) रोकने के लिए सरकार खुले बाजार में सस्ते रेट पर गेहूं-चावल जैसे सामान बेच सकती है. इस बात के संकेत सोमवार को खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय (Food Secretary Sudhanshu Pandey) ने दिए. सरकार के पास गेहूं और चावल का पर्याप्त भंडार है. लेकिन दूसरी ओर खुले बाजार में इन सामानों के रेट बढ़े हुए हैं. खासकर त्योहारी सीजन में लोगों को आटा-चावल के लिए अधिक पैसे चुकाने पड़ रहे हैं. सितंबर के महंगाई आंकडे़ में खाद्य वस्तुओं की महंगाई का बड़ा रोल बताया गया. इससे निजात देने के लिए सरकार अनाज बेच सकते हैं.

एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है. सरकार को भरोसा है कि इस खरीफ सीजन के धान की पैदावार अच्छी होगी जिसकी कटाई का काम चल रहा है. सरकार 770 लाख टन धान की खरीद की उम्मीद जता रही है. पिछले साल 780 लाख टन धान की खरीद की गई थी. इस हिसाब से धान का सरकारी स्टॉक 900 लाख टन पर पहुंच सकता है. खरीफ के साथ ठंड के दिनों में रोपे जाने वाले धान को भी इसमें शामिल कर लिया जाए तो स्टॉक 900 लाख टन तक जा सकता है.



चावल-गेहूं की पैदावार का हाल
फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (Food Corporation of India) यानी कि FCI के चेयरमैन केके मीणा कहते हैं कि इस साल देश में ठीक-ठाक बारिश हुई है और इससे धान की पैदावार भी सामान्य रहने की उम्मीद है. हालांकि गेहूं की फसल पर खराब असर दिखा था क्योंकि मार्च महीने में ही अधिक गर्मी पड़ने और लू चलने से फसल को नुकसान हुआ था. गेहूं की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए सरकार ने मई महीने में गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी. पिछले महीने चावल पर भी प्रतिबंध लगाया गया. चावल पर निर्यात शुल्क 20 परसेंट कर दिया गया और टूटे चावल के निर्यात पर पाबंदी लगा दी गई.

बाजार में गेहूं के दाम पहले से अधिक बने हुए हैं क्योंकि किसानों (farmers) को इसे सरकार से बेचने के बजाय निर्यातकों को बेचने में फायदा मिल रहा है. सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदती है, जबकि उन्हें निर्यातकों से अधिक लाभ मिल रहा है. खाद्य सचिव कहते हैं कि गेहूं के दाम में अभी असामान्य वृद्धि नहीं दिख रही है क्योंकि 2021 से अभी तक दाम गिरे हुए थे. सरकार ने पिछले साल खुले बाजार में अनाज का बड़ा स्टॉक बेचा था और ढुलाई का खर्च भी वहन किया था. इसलिए, पिछले साल गेहूं के दाम बहुत ही कम थे.

सरकार के भंडार में अतिरिक्त अनाज
देश से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध (export ban) लगने के बाद निर्यात 72 लाख टन से घटकर 42 लाख टन पर आ गया. इस तरह सरकार के भंडार में अभी 25 लाख टन अधिक गेहूं है. ऐसे में सरकार महंगाई को रोकने के लिए खुले अनाज में अनाज बेच सकती है. इससे लोगों को सस्ते में गेहूं और चावल खरीदने का मौका मिलेगा. सितंबर में खुदरा महंगाई दर 5 महीने के उच्चतम स्तर 7.41 परसेंट पर पहुंच गई है. इसमें खाद्य पदार्थों की महंगाई सबसे अधिक है. इसे रोकने के लिए सरकार बाजार में सस्ते रेट पर गेहूं और चावल बेच सकती है.

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