इंदौर। जिले में मानसूनकाल (Monsoon) के मद्देनजर आपदा प्रबंधन पर बैठक आयोजित की गई, जिसमें शहर में जल जमाव यानी पानी भरने की समस्या से निपटने के उपाय करने के साथ-साथ यशवंत सागर के गेट खोलने से पहले नागरिकों को सूचना दी जाने, खदानों सहित पुल-पुलियाओं पर चेतावनी के बोर्ड लगाने को कहा गया है। पहुंचविहीन गांवों की सूची तैयार कर वहां पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न का भंडारण करने, होमगार्ड सहित बचाव और राहत दल बनाने के निर्देश भी कलेक्टर ने दिए हैं। जिला स्तर (District Level) पर एक कंट्रोल रूम भी बनाया जाएगा, जिसे आपदा नियंत्रण केन्द्र के रूप में संचालित करेंगे, जिसके माध्यम से आकस्मिक स्थितियों में सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सके। मानसून के दौरान बिजली (Electricity) की आपूर्ति सतत बनी रहे इस पर भी चार्च की गई।
वैसे तो अभी बिन मौसम ही बारिश होती रही, जिसके चलते मानसून के गड़बड़ाने की आशंकाएं भी व्यक्त की जा रही है। हालांकि मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून सामान्य ही रहेगा। 15 जून के बाद मानसून की आमद होती है। हालांकि इंदौर में तो जून अंत और जुलाई के पहले हफ्ते में ही मानसूनी बारिश शुरू होती है। कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने मानसूनकाल के मद्देनजर अतिवृष्टि व बाढ़ से उत्पन्न होने वाली स्थितियों से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन पर बैठक बुलाई, जिसमें एतियात के रूप में क्या-क्या इंतजाम किए जा सकते हैं, उस पर चर्चा की गई। वहीं कलेक्टर ने निर्देश दिए कि पूरे जिले में अभी से ऐसी तैयारियां रखी जाएं, ताकि किसी भी आपदा के वक्त त्वरित रूप से मदद मिल सके। बैठक में अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर, अजयदेव शर्मा, राजेश राठौर, आर.एस. मण्डलोई, श्रीमती सपना लोवंशी,जिला पंचायत सीईओ श्रीमती वंदना शर्मा सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे। बैठक में बताया गया कि आगामी समय में अतिवृष्टि, बाढ़ तथा इससे उत्पन्न स्थितियों से निपटने के लिए एहतियात के रूप में पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। पूर्व सूचना तथा आकस्मिक स्थिति के दौरान सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए जिला स्तर पर आपदा नियंत्रण केंद्र (कंट्रोल रूम) स्थापित किया जाएगा। कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी ने निर्देश दिए कि मानसून के दौरान बिजली की आपूर्ति सतत बनाए रखी जाए। यशवंत सागर के गेट खोलने के पूर्व नागरिकों को पूर्व सूचना दी जाए। खदानों में विशेष निगरानी रखी जाए तथा उनके संचालकों से फेंसिंग कराई जाए। शहर में पानी निकासी की पर्याप्त व्यवस्था रखें। जलजमाव वाले स्थानों को पूर्व से चिन्हित कर एहतियात के रूप में तैयारी रखें। पूल और पुलियाओं पर विशेष ध्यान रखें। वहां चेतावनी संबंधी बोर्ड भी लगाए जाएं। पहुंच विहीन गांवों की सूची पूर्व से ही तैयार कर लें।
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