नई दिल्ली: दिल्ली (Delhi) में अचानक से ये बात फैल रही है कि केंद्र सरकार (Central government) जल्द ही जेल में बंद दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल (chief minister kejriwal) और उनके मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर सकती है. दरअसल बीजेपी के विधायकों ने देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से केजरीवाल सरकार को बर्खास्त करने की मांग की थी. इस सबंध में दिल्ली बीजेपी विधायकों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा था. अब खबर आ रही है कि राष्ट्रपति सचिवालय ने इस पर संज्ञान लेते हुए मांग पत्र को गृह मंत्रालय में भेज दिया है. सवाल यह उठता है कि बीजेपी को इतनी जल्दी क्यों मची हुई है. जब अब तक केजरीवाल सरकार नहीं बर्खास्त किया तो अब ऐन चुनाव के मौके पर ऐसा करना आम आदमी पार्टी के लिए फायदेमंद को बीजेपी के लिए क्या घातक साबित नहीं हो सकता है? 2024 लोकसभा चुनावों के वक्त भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में ही थे. तमाम ऐसी संभावनाएं जताईं गईं कि अरविंद केजरीवाल के जेल में होने से आम आदमी पार्टी को सहानुभूति वाले वोट मिलेंगे. पर ऐसा नहीं हुआ.
अरविंद केजरीवाल को कोर्ट ने चुनाव प्रचार के लिए भरपूर मौका दिया. दिल्ली और पंजाब में वोटिंग के एक दिन पहले तक केजरीवाल अपने समर्थकों से अपील करते रहे कि उन्हें जेल से बाहर निकालना है तो आम आदमी पार्टी को वोट करें. पर दिल्ली की जनता ने उनकी एक न सुनी. दिल्ली की कुल सात सीटों पर कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने के बावजूद आम आदमी पार्टी को एक भी सीट हासिल करने में सफल साबित नहीं हुई. मतलब साफ था कि दिल्ली की जनता अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के कार्यों से संतुष्ट नहीं है. पर दिल्ली की राजनीति अलग है. दिल्ली हमेशा से लोकसभा और विधानसभा में अलग तरीके से वोट करती रही है. 2019 के चुनावों में भी आम आदमी पार्टी साफ हो गई थी. पर 2020 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी का पत्ता साफ कर दिया था. इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि अरविंद केजरीवाल सरकार की बर्खास्तगी दिल्ली की जनता के बीच उनके लिए हमदर्दी का कारण बनेगा.
दरअसल आम आदमी पार्टी बर्खास्तगी के बाद यह स्टैबलिश करने में सफल हो सकती है कि केंद्र सरकार का एक मात्र उद्दैश्य सरकार को बर्खास्त करना ही था. इसलिए येन केन प्रकाणेन दिल्ली में आप नेताओं को फंसाने के लिए साजिश की गई. अरविंद केजरीवाल के अब तक रिजाइन न करने का कारण भी यही रहा है. केजरीवाल यही चाहते हैं कि उन्हें सरकार बर्खास्त कर दे ताकि उसे वो अपने पक्ष में भुना सके. दिल्ली सरकार को बर्खास्त करने की मांग करने वाले बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता की अगुवाई में बीजेपी विधायक 30 अगस्त को राष्ट्रपति से मिले थे. विजेंद्र गुप्ता ने राष्ट्रपति से हर बारिश में दिल्ली के जलमग्न होने की बात की. उन्होंने आयुष्मान भारत योजना दिल्ली में लागू नहीं होने का जिक्र किया.
गुप्ता ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के हजारों करोड़ रुपये का फंड बंद हो गया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जेल में रहने के चलते सरकार काम नहीं कर पा रही है. गुप्ता ने कहा कि हम राष्ट्रपति से दिल्ली की सरकार को बर्खास्त करने का अनुरोध करते हैं ताकि दिल्ली की जनता के लाभ के लिए सरकार का कामकाज और विकास बहाल हो सके. विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली के भाजपा विधायकों और पूर्व AAP विधायक और मंत्री राज कुमार आनंद के साथ राष्ट्रपति से मिलने पहुंचे थे. उन्होंने कहा, ‘अरविंद केजरीवाल ने दिल्लीवासियों का जीना दुश्वार कर दिया है, क्योंकि कोई भी सरकारी विभाग कारगर ढंग से काम नहीं कर रहा है. दिल्ली जल बोर्ड कर्ज में डूबा हुआ है, सड़कें खस्ताहाल हैं, घोटाले पर घोटाले हो रहे हैं. सलाखों के पीछे होने के बावजूद सत्ता में बने रहने के लालच ने राष्ट्रीय राजधानी में कई समस्याएं पैदा कर दी हैं.’
इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि देश की राजधानी का हाल इस समय बहुत बुरा है.सारी व्यवस्था चोक हो चुकी है. लुटियंस जोन को छोड़ दिया जाए तो पूरी दिल्ली में कूड़े के ढेर पड़े हुए हैं, सड़कें टूटी पड़ी हुईं हैं.बिजली के पोल में लगी लाइटें अक्सर बंद रहती हैं. अंडरपास में पानी भर जाते हैं. थोड़ी सी बारिश में दिल्ली का पूरा सिस्टम बेहाल हो जाता है. हालांकि दिल्ली में केजरीवाल की बर्खास्तगी का न होना भी बीजेपी के लिए महंगा पड़ सकता है. दरअसल दिल्ली में सीधे-सीधे बीजेपी और आम आदमी पार्टी के समर्थक बंटे हुए हैं.
एक तरफ तो लगता है कि आम आदमी पार्टी के बहुत से समर्थक हैं जो आम आदमी पार्टी की सरकार के कार्यों से बहुत प्रसन्न हैं. पर ऐसे भी बहुत से लोग हैं जो चाहते हैं कि अरविंद केजरीवाल की सरकार से किसी भी तरह से खुश नहीं है.ऐसे लोग अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एक्शन चाहते हैं. जब भारतीय जनता पार्टी जनता की अदालत में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ वोट मांगने जाएगी तो जनता पूछ सकती है कि आपने केजरीवाल को बर्खास्त क्यों नहीं किया. इतिहास गवाह रहा है कि बर्खास्तगी का असर नहीं पड़ता है. 1992 में बाबरी मस्जिद गिरने के बाद केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारों को बर्खास्त कर दिया था. विडंबना देखिए कि बीजेपी की लोकप्रियता अपने चरम पर होने के बावजूद इन तीनों राज्यों में जब चुनाव हुए तो बीजेपी को सत्ता से बाहर होना पड़ा था.
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