उज्जैन। 103 बिस्तर वाले माधवनगर सरकारी अस्पताल आने वाले दिनों में किसी संस्था के द्वारा संचालित चेरिटी अस्पताल के रूप में नजर आ सकता है। इसकी तैयारियाँ की जा रही है। कुछ जनप्रतिनिधियों की मंशा है कि चेरिटेबल अस्पताल की तर्ज पर माधवनगर सरकारी अस्पताल का संचालन महाकाल मंदिर समिति ट्रस्ट के रूप में जवाबदारी लेकर करे। उल्लेखनीय है कि फ्रीगंज स्थित माधवनगर सरकारी अस्पताल का भव्य निर्माण सिंहस्थ सिंहस्थ 2004 के दौरान किया गया था। अस्पताल में मरीजों के उपचार के लिए 103 बेड की व्यवस्था की गई थी। इसके अलावा अस्पताल की ओपीडी, ऑपरेशन थिएटर सहित विभिन्न वार्डों के निर्माण किए गए थे। इसके अलावा माधवनगर सरकारी अस्पताल के आईसीयू वार्ड में 33 बिस्तरों की भी व्यवस्था है। माधवनगर अस्पताल के प्रभारी डॉ. विक्रम रघुवंशी ने बताया कि वैसे तो माधवनगर अस्पताल में 103 बेड हैं लेकिन कोरोना काल में मरीजों के उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग ने यहाँ 205 बेड की व्यवस्था कर दी थी।
इसके लिए ओपीडी के कक्षों सहित ऑपरेशन थिएटर तक में कोरोना मरीजों के उपचार के लिए बेड लगा दिए थे। तब कहीं जाकर यहाँ 205 बेड की व्यवस्था हो पाई थी। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान माधवनगर अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट भी स्थापित हो चुका है। अभी उज्जैन में कोरोना की तीसरी लहर थमने के बाद से मरीज नहीं हैं, इस कारण माधवनगर अस्पताल में अभी अन्य बीमारियों के मरीजों का भर्ती कर तथा ओपीडी में उपचार किया जा रहा है। कुछ महीने पहले ही यहाँ से हड्डी वार्ड को वापस जिला अस्पताल में शिफ्ट किया गया है। इसके बाद भी यहाँ घायल हुए अन्य व्यक्ति उपचार के लिए आ रहे हैं, उनका भी ईलाज किया जाता है। इधर अस्पताल से जुड़े सूत्रों का कहना है कि माधवनगर अस्पताल से वार्डों को जिला अस्पताल में शिफ्ट करने का क्रम चलता रहता है। इस कारण यहाँ कुछ वार्ड स्थायी रूप से नहीं रह पाते। इसी के चलते शहर के जनप्रतिनिधियों ने विचार किया है कि माधवनगर सरकारी अस्पताल को किसी ट्रस्ट को दे दिया जाए। सूत्र बताते हैं कि इसके लिए जनप्रतिनिधि महाकाल मंदिर समिति से जल्द चर्चा करेंगे और माधवनगर अस्पताल को समिति द्वारा संचालित करने का प्रस्ताव रखेंगे।
स्वास्थ्य विभाग और ट्रस्ट मिलकर संभालेंगे
सूत्रों का कहना है कि माधवनगर सरकारी अस्पताल को अगर महाकाल मंदिर समिति या अन्य कोई संस्था संचालन के लिए तैयार होती है तो अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए सरकारी डॉक्टर और अन्य स्टाफ मौजूद रहेगा। साथ ही आवश्यकता पडऩे पर ट्रस्ट द्वारा अतिरिक्त डॉक्टर और स्टाफ की व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही अस्पताल में सुविधाएँ भी जुटाना ट्रस्ट के जिम्मे रहेगा।
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