नई दिल्ली. करीब 9 साल पहले दिसंबर 2015 में इस्लामिक मिलिट्री काउंटर टेरेरिज्म कोलिशन (IMCTC) नाम की संस्था बनाई गई थी. आतंकवाद (Terrorism) के खिलाफ एशिया और अफ्रीका (Asia and Africa) के 42 मुस्लिम देशों (42 Muslim countries) ने इसे बनाया. आज भी एक्टिव है ये संस्था. लेकिन ऐसा लग रहा है कि अब एक नई संस्था बनने जा रही है, जिसका नाम होगा इस्लामिक नाटो (Islamic Nato) और मुस्लिम नाटो (Muslim Nato).
इनका साथ देने वाले प्रमुख पार्टनर देश हो सकते हैं-
इंडोनेशिया, ईरान, इराक, ओमान, कतर, कुवैत, मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया और लीबिया. साथ में ये पांच देश और जुड़ सकते हैं, वो भी एसोसिएट सदस्यों के तौर पर. ये हैं- अजरबैजान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ब्रुनेई. कुल मिलाकर 25.
इस समूह का मुख्य मकसद क्या होगा?
ये मुस्लिम देश मिलकर नाटो की तरह आतंकवाद रोधी ऑपरेशंस करेंगे. एकदूसरे की मदद से अपनी मिलिट्री को मॉडर्न बनाएंगे. डिफेंस पार्टनरशिप और कॉपरेशन करेंगे. खुफिया जानकारियां शेयर करेंगे. मुस्लिम देशों की आंतरिक स्थिरता के लिए बाहरी मुश्किलों से लड़ेंगे. उन्हें दूर करेंगे. इस्लामिक एकजुटता को बढ़ावा देंगे.
भारत को किस तरह से प्रभावित कर सकता है ये समूह
तनाव बढ़ेगा… इस्लामिक नाटो की वजह से भारत और मुस्लिम बहुल देशों के बीच तनाव बढ़ने की आशंका है. खासतौर से पाकिस्तान, बांग्लादेश.
स्थानीय संतुलन… ये समूह पाकिस्तान और बांग्लादेश की मदद करके भारतीय प्रायद्वीप की स्थानीय राजनीतिक, कूटनीतिक और रणनीतिक संतुलन को बिगाड़ने का प्रयास कर सकता है. आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा.
कश्मीर मुद्दा… इस्लामिक नाटो कश्मीर विवाद को बढ़ा सकता है. भारत के ऊपर दबाव बनाने का प्रयास कर सकता है. ताकि यह मुद्दा पाकिस्तान के पक्ष में जाए.
सुरक्षा को खतरा… इस समूह के बनने से पाकिस्तान को मजबूती मिलेगी. जिससे सीमा पर सुरक्षा को लेकर दिक्कत आ सकती है. यही परेशानी बांग्लादेश से भी खड़ी हो सकती है.
अलग-थलग भारत… अगर इस्लामिक नाटो की ताकत बढ़ती है तो भारतीय प्रायद्वीप या दक्षिण एशिया में भारत एकदम से अलग-थलग पड़ सकता है.
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